बाबा की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखो आई रे,
भक्तो में मस्ती देखो छाई रे,
बाबा की सवारी देखो आई रे ॥
दूर दूर से यात्री आवे,
अर्जी अपनी लगावे,
अर्जी अपनी लगाकर वो तो,
मन चाहा फल पावे,
भोले ने बिगड़ी बनाई रे,
बाबा की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखों आई रे ॥
कोई बजावे झांझ मंजीरा,
ताशा और मृदंग,
रंग गुलाल अबीर में देखो,
मच रही है हुड़दंग,
महिमा भोले की सबने गाई रे,
महाकाल की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखों आई रे ॥
शाही सवारी में बाबा के संग,
भूत प्रेत सब आवे,
बजरंग भेरू गणपति के संग,
हरसिद्धि माँ आवे,
कांवड़ ये सबने चढ़ाई रे,
बाबा की सवारी देखो आई रे,
महाकाल की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखों आई रे ॥
बाबा की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखो आई रे,
भक्तो में मस्ती देखो छाई रे,
बाबा की सवारी देखो आई रे ॥
आज देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और चातुर्मास का समापन होता है।
भारत की धर्म और संस्कृति में प्रकृति सम्मान की परंपरा भी है। वही वजह है कि देश में नदियों को तक माता का स्थान दिया गया है। नदियां हमारे देश के लिए जीवनदायिनी रही हैं।
देवों के देव महादेव को उनके भोले स्वभाव के कारण भोलेनाथ भी कहा जाता है। भगवान शिव का स्वभाव जितना भोला है, उतना ही तेज है उनका क्रोध।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिंदू धर्म में तैंतीस करोड़ या तैंतीस कोटि देवी-देवता हैं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि कुल तैंतीस देवता हैं, जिनमें 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र, प्रजापति शामिल हैं।