साथी हारे का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे,
मेरा ये नसीबा भी,
सोया है जगा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
दुनिया में घुमा मुझे,
मिली रुसवाई है,
अपनों से जख्म मिले,
आँख भर आई है,
सबको निभाते हो,
सबको निभाते हो,
मुझे भी निभा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
तुमसे छुपाऊं क्या मैं,
तुम्हे सब पता है,
हाथ जोड़ माफ़ी मांगू,
हुई जो खता है,
दयालु दया थोड़ी,
दयालु दया थोड़ी,
मुझपे भी लुटा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
हारे का सहारा है तू,
मैं भी एक हारा,
इतिहास कहता तुमने,
लाखों को उबारा,
‘मोहित’ मेरी भी,
‘मोहित’ मेरी भी,
किस्मत सजा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
साथी हारे का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे,
मेरा ये नसीबा भी,
सोया है जगा दे,
साथी हारें का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे ॥
छठ पूजा की शुरुआत होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं। ये वो समय होता है जब हम सूर्य देव की खास उपासना करते हैं। वैसे तो छठ पर्व खुशहाली और परिवार के कल्याण के लिए मनाया जाता है।
दीवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना कर उनसे धन-वैभव और सुख-शांति की कामना की जाती है।
सनातन परंपरा में धन की देवी लक्ष्मीजी के आठ अवतार बताए गए हैं। जिन्हें अष्ट लक्ष्मी कहा जाता हैं। इनमें संतान लक्ष्मी भी माता के प्रमुख अवतारों में से हैं।
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीवाली के रूप में मनाई जाती है। इस दिन झिलमिलाते दीपों की ज्योति और हर्षोल्लास के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजन की जाती है।