साँवरियो है सेठ,
म्हारी राधा जी सेठाणी है,
साँवरियों है सेठ,
म्हारी राधा जी सेठाणी है,
ये तो जाने दुनिया सारी है ॥
राजाओं के राजा,
महारानी की रानी,
सिरमौर मुकुट साझे,
जोड़ी बड़ी प्यारी,
दरबार है प्यारा,
राधा के संग साझे,
सुने पलने सेठ,
सुने पलने सेठ,
सुने पलने सेठाणी है,
ये तो जाने दुनिया सारी है ॥
सांवरियां राधा जी,
भक्ता पे है राजी,
करे घणो लाड है,
भंडार लुटावे है,
हर बात बणावे है,
भक्ता रा ठाट है,
देवे छप्पर फाड़,
देवे छप्पर फाड़,
नही इनसो कोई दानी है,
ये जाने दुनिया सारी है ॥
सुख दुख मे साँवरियो,
सुख दुख मे राधा जी,
सदा तेरे साथ है,
मेरी चिंता दुर करे,
मेरी विपदा दुर करे,
रख लेवे बात है,
भक्ता रो तो काम,
भक्ता रो तो काम,
बस एक हाजरी लगाणि है,
ये जाने दुनिया सारी है ॥
साँवरियो है सेठ,
म्हारी राधा जी सेठाणी है,
साँवरियों है सेठ,
म्हारी राधा जी सेठाणी है,
ये तो जाने दुनिया सारी है ॥
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,
जगन्नाथ यानी कि जगत के स्वामी या संसार के प्रभु। यह उनके ब्रह्म रूप और संसार के पालनहार के रूप को दर्शाता है। भगवान जगन्नाथ की पूजा विशेष रूप से "रथ यात्रा" के दौरान होती है, जो एक प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार है। यह यात्रा पुरी में आयोजित होती है और हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।
सिंघ सवारी महिमा भारी,
पहाड़ों में अस्थान तेरा,
इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।