प्यारी ओ प्यारी मैया,
ओ प्यारी प्यारी मैया,
कहते है कृष्ण कन्हाई,
राधा से कर दे सगाई,
मेरी राधा से कर दे सगाई ॥
ना रे ना बोली मैया,
ना रे ना बोली मैया,
छोटो है छोटो तू कन्हाई,
कैसे मैं कर दूँ सगाई
तेरी कैसे मैं कर दूँ सगाई ॥
सुंदर है सुंदर सबसे लगती है प्यारी,
देखा था कल ही लाते यमुना से झारी,
दिल कि भी सुंदर है यूँ बोले कन्हैया,
लगता पुराना कोई बंधन है मैया,
बरसाने जा के कर दे,
बरसाने जा के कर दे,
रसमो की गोद भराई,
राधा से कर दे सगाई,
मेरी राधा से कर दे सगाई ॥
जादूगरी राधा का जादू है कृष्णा,
मीठी मीठी बातो मे मेरे लाल न फसना,
लाऊंगी ऐसी बहु लाखों में होगी,
तेरी सगाई ऐसी वैसी ना होगी,
राधा से कट्टी कर ले,
राधा से कट्टी कर ले,
तेरी है इस में भलाई,
कैसे मैं कर दूँ सगाई
तेरी कैसे मैं कर दूँ सगाई ॥
ना रे ना बोली मैया,
ना रे ना बोली मैया,
छोटो है छोटो तू कन्हाई,
कैसे मैं कर दूँ सगाई
तेरी कैसे मैं कर दूँ सगाई ॥
बहलाओ ना री मैया छोटो समझ कर,
जो भी मै बोला सारा सोच समझ कर ,
अब मै छोटा नही बड़ा हो गया हूँ,
बंसी बजाता उस के घर भी गया हूँ,
वो तो है भोली राधा,
वो तो है भोली राधा,
सहन ना सकेगी जुदाई,
राधा से कर दे सगाई,
मेरी राधा से कर दे सगाई ॥
लल्ला की प्यारी प्यारी बातों को सुनकर,
बोली मैया भी बोली राधा है सुंदर,
तेरी सगाई राधा रानी से होगी,
होगी बहु राधे रानी ही होगी,
‘लहरी’ ख़ुशी से फूला,
‘लहरी’ ख़ुशी से फूला,
बाँटे रे बाँटे बधाई,
राधा और कान्हा की सगाई,
हो गई राधा और कान्हा की सगाई ॥
प्यारी ओ प्यारी मैया,
ओ प्यारी प्यारी मैया,
कहते है कृष्ण कन्हाई,
राधा से कर दे सगाई,
मेरी राधा से कर दे सगाई ॥
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।
सनातन धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत करने से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक है। यह मान्यता है कि शुभ तिथि और मुहूर्त में किया गया कार्य अवश्य सफल होता है।