जय जय राधा रमण हरी बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
मन तेरा बोले राधेकृष्णा,
तन तेरा बोले राधेकृष्णा,
जिव्हा तेरी बोले राधेकृष्णा,
मुख से निकले राधेकृष्णा,
जय जय राधा रमण हरि बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
पलकें तेरी बोले राधेकृष्णा,
अलके तेरी बोले राधेकृष्णा,
आँखे तेरी बोले राधेकृष्णा,
साँसे तेरी बोले राधेकृष्णा,
जय जय राधा रमण हरि बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
धड़कन बोले राधेकृष्णा,
तड़पन बोले राधेकृष्णा,
अंतर बोले राधेकृष्णा,
रोम रोम बोले राधेकृष्णा,
जय जय राधा रमण हरि बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
पंछी बोले राधेकृष्णा,
भंवरे बोले राधेकृष्णा,
बंशी बोले राधेकृष्णा,
वीणा बोले राधेकृष्णा,
जय जय राधा रमण हरि बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
वृन्दावन में राधेकृष्णा,
बरसाने में राधेकृष्णा,
गोवर्धन में राधेकृष्णा,
नंदगांव में राधेकृष्णा,
जय जय राधा रमण हरि बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
मुनिजन बोले राधेकृष्णा,
गुरुजन बोले राधेकृष्णा,
हम सब बोले राधेकृष्णा,
सब जग बोले राधेकृष्णा,
जय जय राधा रमण हरि बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
जय जय राधा रमण हरी बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥
स्वर – श्री म्रदुल कृष्ण जी शाश्त्री।
सिंघ सवारी महिमा भारी,
पहाड़ों में अस्थान तेरा,
इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।
सीता के राम थे रखवाले,
जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥