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सीता के राम थे रखवाले, जब हरण हुआ तब कोई नहीं: भजन (Sita Ke Ram The Rakhwale Jab Haran Hua Tab Koi Nahi)

सीता के राम थे रखवाले, जब हरण हुआ तब कोई नहीं: भजन (Sita Ke Ram The Rakhwale Jab Haran Hua Tab Koi Nahi)

सीता के राम थे रखवाले,

जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥


द्रोपदी के पांचो पांडव थे,

जब चीर हरण तब कोई नहीं,

दशरथ के चार दुलारे थे,

जब प्राण तजे कब कोई नहीं ॥


रावण भी बड़े शक्तिशाली थे,

जब लंका जली तब कोई नहीं,

श्री कृष्ण सुदर्शन धारी थे,

जब तीर चुभा तब कोई नहीं ॥


लक्ष्मण जी भी भारी योद्धा थे,

जब शक्ति लगी तब कोई नहीं,

सर शय्या पे पड़े पितामह थे,

पीड़ा का सांझी कोई नहीं ॥


अभिमन्यु राज दुलारे थे,

पर चक्रव्यूह में कोई नहीं,

सच है ‘देवेंद्र’ दुनिया वाले,

संसार में अपना कोई नहीं ॥


सीता के राम थे रखवाले,

जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥

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वट सावित्री व्रत की तिथि और मुहूर्त

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुखद वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है।

वट सावित्री व्रत की कथा

वट सावित्री का व्रत पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए किया जाने वाला एक पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

महिलाएं क्यों करती हैं वट वृक्ष की पूजा

वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक विशेष व्रत है, जो पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, तथा 2025 में यह व्रत सोमवार, 26 मई को मनाया जाएगा।

वट सावित्री व्रत में क्या करें, क्या नहीं

वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत जितना श्रद्धा और नियमों से जुड़ा है, उतना ही इसका सही तरीके से पालन करना भी आवश्यक है। इस साल वट सावित्री व्रत 26 मई, सोमवार को मनाया जाएगा।

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