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मैंने रटना लगाई रे, राधा तेरे नाम की (Maine Ratna Lagai Re Radha Tere Naam Ki)

मैंने रटना लगाई रे, राधा तेरे नाम की (Maine Ratna Lagai Re Radha Tere Naam Ki)

मैंने रटना लगाई रे,

राधा तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की,

श्री राधा तेरे नाम की,

किशोरी तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की ॥


मेरी अलकों में राधा,

मेरी पलकों में राधा,

मैंने बिंदिया लगाई रे,

राधा तेरे नाम की,

श्री राधा तेरे नाम की,

किशोरी तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की ॥


मेरी चुनरी में राधा,

मेरी दुलरी में राधा,

मैंने चूड़ी खनकाई रे,

राधा तेरे नाम की,

श्री राधा तेरे नाम की,

किशोरी तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की ॥


मेरे नैनो राधा,

मेरे बैनो में राधा,

मैंने पायल छनकाई रे,

राधा तेरे नाम की,

श्री राधा तेरे नाम की,

किशोरी तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की ॥


मेरे अंग अंग राधा,

मेरे संग संग राधा,

गोपाल बंसी बजाई रे,

राधा तेरे नाम की,

श्री राधा तेरे नाम की,

किशोरी तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की ॥


मैंने रटना लगाई रे,

राधा तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की,

श्री राधा तेरे नाम की,

किशोरी तेरे नाम की,

मैंने मेहंदी लगाई रे,

राधा तेरे नाम की ॥


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चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

चैत्र नवरात्रि कथा

चैत्र नवरात्रि हिंदू नव वर्ष के साथ आती है और इसे विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। पंचांग के अनुसार, 2025 में चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगी।

शारदीय नवरात्रि पौराणिक कहानी

शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा की जाती है और यह शक्ति साधना का पर्व है। इस दौरान भक्तजन उपवास रखते हैं और विजयादशमी पर उत्सव मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

सनातन धर्म में गुरु ही हमें सही और गलत की समझ देते हैं और अच्छे-बुरे का अंतर सिखाते हैं। गुरुओं की महत्ता हमारी संस्कृति में सदियों से रही है। यहां तक कि गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा प्राप्त है।

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