उत्तराखंड के कुमाऊं एवं गढ़वाल में फुलारी बच्चों द्वारा घर की खुशहाली तथा सुख सम्रद्धि के लिए गाया जाने वाला गीत।
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
बार मेना में आ रेचो त्यार
नंतिना अर्ना देहि
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूली बिरुडी आड़ू खुमानी
बुराशी फूली उची दानी
फूली बिरुडी आड़ू खुमानी
बुराशी फूली उची दानी
पेली टायर पंचमी की आलो
लग्लो चेत फागुन झालो
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
चैत को मैण, एक पैट,
चेली को सुर पराण मैत
चैत को मैण, एक पैट,
चेली को सुर पराण मैत
फुल खज़ भेटोली आली
रंगलो लगी गो चे चेट
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
नंदिनो की फुलो की थाई
गा ओमिजी आरे फुलो दीवाई
नंदिनो की फुलो की थाई
गा ओमिजी आरे फुलो दीवाई
छाव भारी थाई हरनेने
हाथ मुझे लेरे गुड के ढी
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए जाना जाता है। इसमें व्रती महिलाएं पवित्र नदी में या किसी कुंड में डुबकी लगाती हैं और सूर्य और छठी मैया की पूजा करती है।
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं।
सनातन धर्म में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार के लिए हर घर में साफ सफाई और सजावट शुरू हो जाती है।
पूरे भारतवर्ष में दीपावली का त्योहार बहुत ही आनंद, उत्साह और उम्मीद के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु विभिन्न प्रकार के जप- तप, हवन एवं पूजन किए जाते हैं।