ओ लागी लागी रे प्रीत,
थासु सांवरिया सरकार,
बन के दीवानी मैं तो नाचूंगी,
सांवरा होके दीवानी मैं तो नाचूंगी,
ओ लागी लागी रे प्रित,
थासु सांवरिया सरकार ॥
ओ म्हारे मनडे में,
बसग्यो म्हारो श्याम धणी दातार,
थे ही बोलो कइयाँ मैं रह पाउंगी,
सांवरा थे ही बोलो कइयाँ मैं रह पाउंगी,
ओ लागी लागी रे प्रित,
थासु सांवरिया सरकार ॥
ओ थारी बांकी छवि,
निराली भावे म्हाने श्याम,
निजर ना लागे वारि जाउंगी,
सांवरा निजर ना लागे वारि जाउंगी,
ओ लागी लागी रे प्रित,
थासु सांवरिया सरकार ॥
ओ ‘चंचल’ दर्श दीवानी,
हो गई मदन मुरार,
श्याम नाम प्रेम बधाई बाँटूंगी,
सांवरा श्याम नाम प्रेम बधाई बाँटूंगी,
ओ लागी लागी रे प्रित,
थासु सांवरिया सरकार ॥
ओ लागी लागी रे प्रीत,
थासु सांवरिया सरकार,
बन के दीवानी मैं तो नाचूंगी,
सांवरा होके दीवानी मैं तो नाचूंगी,
ओ लागी लागी रे प्रित,
थासु सांवरिया सरकार ॥
सुबह ही क्यों की जाती है भगवान की पूजा, जानिए पूजा के पांच समय
सनातन परंपरा के अनुसार संसार में अब तक चार युग हुए हैं। इन चार युगों को सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलि युग कहा गया है। संसार का आरंभ सतयुग से हुआ। त्रेता युग में विभिन्न देवताओं ने विभिन्न अवतारों के साथ धर्म की रक्षा की। इसमें प्रमुख रूप से रामावतार में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना की और पापियों का नाश किया।
त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया। रामावतार श्री हरि विष्णु के परमावतारों में से एक है। श्री राम अवतार में भगवान ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में सांसारिक लीलाएं की और रावण का वध कर संसार को पापों से मुक्ति दिलाई और धर्म की स्थापना की।
शंख सनातन धर्म में सभी धार्मिक और वैदिक कार्यों की पूजन सामग्री का अभिन्न हिस्सा। हमारे पूजा पाठ में शंख का विशेष स्थान है। मान्यता है कि शंख सुख-समृद्धि और सौभाग्यदायी हैं इसलिए भारतीय संस्कृति में मांगलिक चिह्न के रूप में सर्वमान्य भी है।