नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
खड़ा हाथ बांधे मैं दर पर तुम्हारे ॥
न करता हूं भक्ति न जप योग साधन ।
कैसे कटेंगे यह माया के बंधन ॥
दुःखी दीन हो के यह मनवा पुकारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
भंवर में पड़ी आ के नैया यह मेरी ।
सहारा न दूजा है इक आस तेरी ॥
तू बन के खिवैया लगा दे किनारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
मैं कामी हूं क्रोधी हूं लोभी अवारा ।
लिया नाम दिल से कभी न तुम्हारा ॥
दया कर क्षमा कर तू बख्श बख्शन हारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
बिनती यही है प्रभु के चरण में ।
आये हैं हम सब तुम्हारी शरण में ॥
करो दूर अवगुण जो होवें हमारे ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।
हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है।
2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।
आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं। सूर्य देव के इस राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। हर संक्रांति का अपना खास महत्व होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है।