नमामि श्री गणराज दयाल,
करत हो भक्तन का प्रतिपाल,
नमामि श्री गणराज दयाल।
निशिदिन ध्यान धरे जो प्राणी,
हरे सकल भव जाल,
जन्म-मरन से होत निराला,
नहीं लगती कर माल,
॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥
लंबोदर गज-वदन मनोहर,
गले फूलों की माल,
ऋद्धि-सिद्धि चमाल धूलावें,
शोभत से दूर हार,
॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥
मूषक वाहन त्रिशूल परेशुधार,
चंदन झलक विशाल,
ब्रह्मादिक सब ध्यावत तुम को,
अर्जी तुकरया बाल,
॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥
नमामि श्री गणराज दयाल,
करत हो भक्तन का प्रतिपाल,
नमामि श्री गणराज दयाल।
छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में।
हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है।
छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।
आज 07 अप्रैल 2025 चैत्र माह का बाईसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि दशमी है। आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर धृति योग रहेगा।