नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥
नचावे हरि की मईआ,
नचावे हरि की मईआ ।
नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥
मथुरा मे हरि, जन्म लियो है ॥
गोकुल मे पग, धरो री कन्हैया॥
रुनुक-झुनुक पग, घुँघरू वाज़े ॥
ठुमुक-ठुमुक पग, धरो री कन्हैया॥ ...x2
॥ नाचे नन्दलाल...॥
धोतो न बांधे, जामो न पहिरे ॥
पिताम्बर को, बडो रे पहरैया॥
टोपो न ओढ़े लाला, फेंटा* न बांधे ॥
मोर-मुकुट को, बडो रे ओढैईया॥ ...x2
॥ नाचे नन्दलाल...॥
शाला न ओढ़े, दुशाला ना ओढ़े ॥
काली रे कमरिया को, बडो रे ओढैईया॥
ढूध न भावे, दही ना खावे ॥
माखन-मिसरी को, बड़ो रे खवैईया॥...x2
॥ नाचे नन्दलाल...॥
खेल ना खेले, खिलौना ना खेले ॥
बंसी को लाला, बडो री बजीईया ॥
चंदर सखी भज, बालकृष्ण छवि ॥
हंस हंस कंठ लगावे, हर की मैया ॥ ...x2
॥ नाचे नन्दलाल...॥
नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥
नचावे हरि की मईआ,
नचावे हरि की मईआ ।
नाचे नन्दलाल,
नचावे हरि की मईआ ॥
मकर संक्रांति का त्योहार आगामी 14 जनवरी को है। देश के कई हिस्सों में इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति संबंधित है।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।
हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है।
2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।