गौरा माता दी अख दा तारा,
शिव शंकर दा राजदुलारा,
मनाओ जी गणेश भक्तो,
मनाओ जी गणेश भक्तों ॥
मत्थे चन्दन तिलक सुहावे,
गल पुष्पा दी माला पावे,
चढ़े पान फूल संग मेवा,
करे संतन रल मिल सेवा,
मनाओ जी गणेश भक्तों,
मनाओ जी गणेश भक्तों ॥
सब तो पेहला होंदी पूजा,
गणपति वरगा देव ना दूजा,
काम बिगड़े ऐ सबदे बणोंदा,
झोली जग सारे आदे भरोंदा,
मनाओ जी गणेश भक्तों,
मनाओ जी गणेश भक्तों ॥
राजू वि हरिपुरिया बोले,
गावे सलीम ना कदे वि डोले,
आवो पुजले एक मन होके,
ऐ दी चरणी आन खलोके,
मनाओ जी गणेश भक्तों,
मनाओ जी गणेश भक्तों ॥
गौरा माता दी अख दा तारा,
शिव शंकर दा राजदुलारा,
मनाओ जी गणेश भक्तो,
मनाओ जी गणेश भक्तों ॥
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन किए जाते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत से जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने की त्रयोदशी तिथि (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में) को रखा जाता है। मई 2025 में पहला प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को आएगा, जो कि शुक्रवार के दिन है।
भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी अलग परंपरा और संस्कृति है। केरल का त्रिशूर पूरम ऐसा ही एक रंगीन और भव्य उत्सव है, जो न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण होता है।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व होता है। पंचांग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं।