Logo

मैया तेरे नवराते हैं, मैं तो नाचू छम छमा छम (Maiya Tere Navratre Hai Mai To Nachu Cham Cham)

मैया तेरे नवराते हैं, मैं तो नाचू छम छमा छम (Maiya Tere Navratre Hai Mai To Nachu Cham Cham)

मैया तेरे नवराते हैं,

मैं तो नाचू छम छमा छम,

छमाछम छमाछम छमाछम,

मैया तेरे जगराते हैं,

मैं तो गाऊं तेरे गुण,

छमाछम छमाछम छमाछम,

तेरी धुन में मगन,

मेरा झूम रहा तन,

जैसे नाचे है मोर,

देख रिमझिम सावन,

जैसे घिर आए फिर बदरा,

घनन घनन घन,

छमाछम छमाछम छमाछम,

मैया तेरे नवराते है,

मैं तो नाचू छम छमा छम ॥


सज गई है सारी गलियां,

सज गए हैं चौबारे,

ऐसे में दिल ये मेरा,

मैया मैया पुकारे,

जी रहे हैं हम तो माता,

एक तेरे सहारे,

भर आएंगे मेरे नैना,

होंगे जो दर्शन तुम्हारे,

मैया मेरे घर में आना,

आकर कभी तू ना जाना,

करता रहूं तेरी सेवा,

हो जाए जीवन सुहाना,

तेरी धुन में मगन,

मेरा झूम रहा तन,

जैसे नाचे है मोर,

देख रिमझिम सावन,

जैसे घिर आए फिर बदरा,

घनन घनन घन,

छमाछम छमाछम छमाछम,

मैया तेरे नवराते है,

मैं तो नाचू छम छमा छम ॥


गा रही है सारी दुनिया,

गा रहे भक्त सारे,

ऐसे ही सदा मैया,

संग रहना हमारे,

तुमने दी है यह खुशियां,

तुमसे ही है उजियारे,

करना यूं ही कृपा माँ,

हम हैं बालक तुम्हारे,

आए हैं दिन यह सुहाने,

दर्शन के बिन दिल ना माने,

चरणों में दे दो जगह हम,

तेरे दरश के दीवाने,

तेरी धुन में मगन,

मेरा झूम रहा तन,

जैसे नाचे है मोर,

देख रिमझिम सावन,

जैसे घिर आए फिर बदरा,

घनन घनन घन,

छमाछम छमाछम छमाछम,

मैया तेरे नवराते है,

मैं तो नाचू छम छमा छम ॥


मैया तेरे नवराते हैं,

मैं तो नाचू छम छमा छम,

छमाछम छमाछम छमाछम,

मैया तेरे जगराते हैं,

मैं तो गाऊं तेरे गुण,

छमाछम छमाछम छमाछम,

तेरी धुन में मगन,

मेरा झूम रहा तन,

जैसे नाचे है मोर,

देख रिमझिम सावन,

जैसे घिर आए फिर बदरा,

घनन घनन घन,

छमाछम छमाछम छमाछम,

मैया तेरे नवराते है,

मैं तो नाचू छम छमा छम ॥

........................................................................................................
एकादशी पर गन्ने के मंडप की कथा

देव उठनी एकादशी पर सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु का विवाह गन्ने के मंडप में होता है। इसकी भी अलग ही मान्यता है और इससे संबंधित कथाएं भी हैं।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन से सभी मंगल कार्य आरंभ करने की परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद योग निद्रा से जागते हैं और उनके जागते ही चातुर्मास भी समाप्त होता है।

देव उठनी एकादशी कितने दीपक जलाएं

कार्तिक मास की एकादशी को देव उठनी एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और इस दिन से ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य की भी शुरुआत होती है।

देव उठनी एकादशी व्रत कथा

देव उठनी ग्यारस पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागकर एक बार फिर संसार के संचालन में लीन हो जाते हैं। इस दिन चातुर्मास भी खत्म होता है और सभी मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang