मैं तो आई वृन्दावन धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ।
किशोरी तेरे चरनन में,
श्री राधे तेरे चरनन में ॥
ब्रिज वृन्दावन की महारानी,
मुक्ति भी यहाँ भरती पानी ।
तेरे चन पड़े चारो धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ॥
मैं तो आई वृन्दावन धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ।
किशोरी तेरे चरनन में,
श्री राधे तेरे चरनन में ॥
करो कृपा की कोर श्री राधे,
दीन जजन की ओर श्री राधे ।
मेरी विनती है आठो याम,
किशोरी तेरे चरनन में ॥
मैं तो आई वृन्दावन धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ।
किशोरी तेरे चरनन में,
श्री राधे तेरे चरनन में ॥
बांके ठाकुर की ठकुरानी,
वृन्दावन जिन की रजधानी ।
तेरे चरण दबवात श्याम,
किशोरी तेरे चरनन में ॥
मैं तो आई वृन्दावन धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ।
किशोरी तेरे चरनन में,
श्री राधे तेरे चरनन में ॥
मुझे बनो लो अपनी दासी,
चाहत नित ही महल खवासी ।
मुझे और ना जग से काम,
किशोरी तेरे चरण में ॥
मैं तो आई वृन्दावन धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ।
किशोरी तेरे चरनन में,
श्री राधे तेरे चरनन में ॥
श्री राधे श्री राधे,
राधे राधे श्री राधे ।
श्री राधे श्री राधे,
राधे राधे श्री राधे ।
गणेश जयंती भगवान गणेश जी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश जी का जन्म माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसे श्रीगणेश के अवतरण-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है।