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काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू - भजन (Kashi Nagri Se Aaye Hai Shiv Shambhu)

काशी नगरी से, आए है शिव शम्भू - भजन (Kashi Nagri Se Aaye Hai Shiv Shambhu)

सुनके भक्तो की पुकार,

होके नंदी पे सवार,

काशी नगरी से,

आए है शिव शम्भू,

सुनके भक्तो की पुकार ॥


भस्मी रमाए देखो,

डमरू बजाए,

कैसा निराला भोले,

रूप सजाए,

गले में है सर्पो का हार,

होके नंदी पे सवार,

काशी नगरीं से,

आए है शिव शम्भू,

सुनके भक्तो की पुकार ॥


मृगछाला पहने है,

जटाओं में गंगा,

चमचम चमकता है,

माथे पे चंदा,

गौरी मैया के श्रृंगार,

होके नंदी पे सवार,

काशी नगरीं से,

आए है शिव शम्भू,

सुनके भक्तो की पुकार ॥


देवों के देव इनकी,

महिमा महान है,

भोले भक्तो के ये तो,

भोले भगवान है,

करने भक्तो का उद्धार,

होके नंदी पे सवार,

काशी नगरीं से,

आए है शिव शम्भू,

सुनके भक्तो की पुकार ॥


सुनके भक्तो की पुकार,

होके नंदी पे सवार,

काशी नगरी से,

आए है शिव शम्भू,

सुनके भक्तो की पुकार ॥


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देवी के नर्मदा स्वरूप की होती है पूजा, भगवान शिव का असितांग अवतार भी यहीं (Devee Ke Narmada Svaroop Ke Hote hai Pooja, Bhagawan Shiv Ka Asitaang Avataar Bhee Yaheen)

मध्य प्रदेश में मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक कालमाधव शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 6000 साल पहले हुई थी।

अमरकंटक की दूसरी शक्तिपीठ शोणदेश, भगवान शिव के भद्रसेन स्वरूप की पूजा होती है (Amarakantak Ke Doosare Shaktipeeth Shonadesh, Bhagawan Shiv Ke Bhadrasen Svaroop Ke Pooja Hote Hai)

शोणदेश शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित दूसरी शक्तिपीठ है। इसे नर्मदा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

भद्रकाली शक्तिपीठ, महाराष्ट्र (Bhadrakali Shaktipeeth Maharashtra)

सप्तश्रृंगी की पहाड़ियों पर हुआ था आदिशक्ति और महिषासुर का युद्ध, यहीं बनी भद्रकाली शक्तिपीठ

मणिबंध शक्तिपीठ, राजस्थान (Manibandh Shaktipeeth, Rajasthan)

मणिबंध शक्तिपीठ पर देवता भी दर्शन करने आते हैं, गायत्री मंत्र का साधना केन्द्र

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