मणिबंध शक्तिपीठ अजमेर से 11 किमी दूर गायत्री पहाड़ी पर स्थित है। मान्यता है इस पहाड़ी पर माता की कलाइयां और कंगन गिरे थे। इसे मणिदेविक शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
यहां की सती को गायत्री तथा शिव को शर्वानंद के नाम से पूजा जाता हैं। माना जाता है कि कार्तिक मास में इस शक्तिपीठ का दर्शन-पूजन करने के लिए देवता भी यहां आते हैं। यह मंदिर गायत्री मंत्र साधना के लिए आदर्श स्थान माना जाता है। मंदिर पहाड़ी पत्थरों से बना है, जिन पर देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
मणिबंध शक्ति पीठ पुष्कर के मुख्य शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुष्कर से 150 किमी की दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन अजमेर मात्र 15 किमी दूर है।
मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाली मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है।
भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाने वाला मत्स्य द्वादशी पर्व इस साल दिसंबर में मनाया जाएगा। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है ।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।
मोक्षदा एकादशी सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। इसे मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।