कर दो दुखियो का दुःख दूर,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
कोई चढ़ावे शिव जी जल की धारा,
कोई चढ़ावे कच्चा दूध,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
केसर चंदन बेल की पत्तियां,
चावल चढ़ाऊँ फल फूल,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
आक धतूरा शिव जी भोग लगत है,
भांग चढ़ाऊँ भरपूर,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
नन्दी रे गण असवार ओ शिव जी,
हाथ लिए है त्रिशूल,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
गोरे तन पर भस्मी रमावे,
गल सर्पो का हार,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
बाये अंग माता गिरिजा बिराजे,
संग में कार्तिक गणेश,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
कंचन थाल कपूर की बाती,
आरती करें नर नार,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
सेवा न जानु बाबा पूजा न जानू,
जानू सदाशिव रो नाम,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
रामदेव आया शरण तुम्हारी,
भोले शरण पड़े की रखो लाज,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
अर्जी हमारी भोले मर्जी तुम्हारी।
अर्जी को कर दो मन्ज़ूर,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
कर दो दुखियो का दुःख दूर,
ओ बाघम्बर वाले,
कर दो प्रभुजी बेड़ा पार,
ओ शिव शंकर भोले ॥
इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर बोले- हे दशी जनार्दन आपको नमस्कार है। हे देवेश ! मनुष्यों के कल्याण के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का नाम एवं माहात्म्य वर्णन कर यह बतलाइये कि उसकीएकादशी माहात्म्य-भाषा विधि क्या है?
एक समय दालभ्यजी ने प्रजापति ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य जी से प्रश्न किया कि प्रभो! क्या कोई ऐसी भी शक्ति या उपाय है कि जिसके करने से ब्रह्महत्या करने इत्यादि के कुटिल कर्मों के पापों से मनुष्य सरलता पूर्वक छूट जाय भगवन् !
पाण्डुनन्दन भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़ कर नम्रता पूर्वक बोले हे नाथ ! अब आप कृपा कर मुझसे माघ शुक्ल एकादशी का वर्णन कीजिए उस व्रत को करने से क्या पुण्य फल होता है।
इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने फिर भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा कि अब आप कृपाकर फाल्गुन कृष्ण एकादशी का नाम, व्रत का विधान और माहात्म्य एवं पुण्य फल का वर्णन कीजिये मेरी सुनने की बड़ी इच्छा है।