कहा प्रभु से बिगड़ता क्या,
मेरी बिगड़ी बनाने में
मजा क्या आ रहा तुमको,
मुझे दर दर घूमाने में
वे बोले क्यों मेरे पीछे,
पड़ा तू रोज रहता है,
मैं बोला, दूसरा कोई
और बता दो जमाने में
वे बोले कि हजारों हैं,
करूंगा कृपा किस किस पर
मैं बोला साफ ही कह हो,
बचा कुछ नहीं खजाने में
वे बोले होश में बोलो,
नहीं तो रूठ जाऊँगा,
मैं बोला हो बड़े माहिर,
जल्दी रूठ जाने में
कहीं कुछ साधना की है,
वो बोले तो कहा मैंने
सुना है रीझ जाते हो
फकत आंसू बहाने में
वे बोले मेरी मर्जी है
करूंगा जो भी चाहूंगा
मैं बोला कर दो परिवर्तन,
करूणानिधि कहाने में
वे बोले करुणा दया न होती
तो जन राजेश न होते
मैं बोला हर्ज फिर क्या है,
मुझे मुख छवि दिखाने में
कहा प्रभु से बिगड़ता क्या,
मेरी बिगड़ी बनाने में
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।
भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के अंश माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को गुरु और भगवान दोनों की उपाधि दी गई है।
वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा होती है।