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जय गणेश जय मेरें देवा (Jai Ganesh Jai Mere Deva)

जय गणेश जय मेरें देवा (Jai Ganesh Jai Mere Deva)

जय गणेश जय मेरे देवा ॥


श्लोक – वक्रतुण्ड महाकाय,

सूर्यकोटि समप्रभ,

निर्विघ्नं कुरु मे देव,

सर्वकार्येषु सर्वदा ॥


जय गणेश जय मेरे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

माता जाकी पार्वती है,

माता जाकी पार्वती है,

पिता महादेवा रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥


एकदंत दयावन्त,

चार भुजाधारी देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

शुभ कारज में,

पहले करूँ मैं पूजा तेरी ॥


माथे सिन्दूर सोहे,

मूसे की सवारी रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥


पान चढ़े फूल चढ़े,

और चढ़े मेवा रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥


लड्डुअन का भोग लगे,

सन्त करें सेवा रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥


अंधन को आंख दे तू,

कोढ़िन को काया रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥


बांझन को पुत्र देवे,

निर्धन को माया रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥


जय गणेश जय मेरें देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा,

माता जाकी पार्वती है,

माता जाकी पार्वती है,

पिता महादेवा रे देवा,

जय गणेश जय मेरें देवा ॥

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महाकुंभ के संन्यासी

संगम तट पर लगे महाकुंभ में लाखों साधु-संत अपनी धुनी रमाए प्रभु की भक्ति में लीन हैं। इनमें नागा साधु, अघोरी, साधु, संत शामिल हैं। इन संतों में कई तरह के संन्यासी आए हुए हैं। इन्हें लेकर कई तरह के रहस्य भी लोगों के मन में हैं।

मौनी अमावस्या अशुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को स्नान और दान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक माह आने वाली अमावस्या को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं।

मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान

मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा। इस बार अमावस्या तिथि को काफी खास माना जा रहा है। बता दें कि महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और रोजाना करीब लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं।

बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान का महत्व और शुभ मुहूर्त

महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है। यह स्नान त्रिवेणी संगम में होगा जहां देश के कोने-कोने से साधु संत और श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं।

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