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बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान का महत्व और शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान का महत्व और शुभ मुहूर्त

इस बार की बसंत पंचमी होने वाली है खास!महाकुंभ का अमृत स्नान इसी दिन, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व  


महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है। यह स्नान त्रिवेणी संगम में होगा जहां देश के कोने-कोने से साधु संत और श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। बसंत पंचमी की तिथि जल्द ही आने वाली है और इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना बहुत जरूरी है। बसंत पंचमी पर महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान स्नान होगा, जिसका महत्व आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और मानसिक स्तर पर बहुत गहरा है। यह स्नान न केवल  परंपरा है बल्कि यह आपके भीतर के ईश्वरीय स्वरूप को पहचानने का मार्ग भी है।


बसंत पंचमी 2025 कब है? 


हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल की पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।


बसंत पंचमी पर बन रहा शुभ योग 


महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है। यह स्नान त्रिवेणी संगम में होगा जहां देश के कोने-कोने से साधु संत और श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। बसंत पंचमी के दिन रवि योग का संयोग बन रहा है जो कि सुबह 6 बजकर 45 मिनट से सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। रवि योग में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा साध्य योग और रेवती नक्षत्र का संयोग भी बनेगा जो कि पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अच्छा है। साध्य योग प्रात:काल से लेकर अगले दिन 4 फरवरी को तड़के 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। बसंत पंचमी का अमृत स्नान 3 फरवरी को होगा जिसका ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 23 मिनट से 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में अमृत स्नान करने पर शुभ फल प्राप्त होंगे। महाकुंभ में अमृत स्नान को बहुत ही पवित्र और पुण्यदायी होता है। अमृत स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है।


बसंत पंचमी पर अमृत स्नान का महत्व


बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है। यह स्नान महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में किया जाता है जो कि गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। बसंत पंचमी पर अमृत स्नान के महत्व के बारे में कुछ विशेष बातें इस प्रकार हैं-


  • पापों का नाश: इस दिन अमृत स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है।
  • आत्मा की शुद्धि: इस दिन अमृत स्नान करने से आत्मा को शुद्धि मिलती है और व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
  • पुण्य की प्राप्ति: इस दिन अमृत स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: इस दिन अमृत स्नान करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।


बसंत पंचमी पर अमृत स्नान करने के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है। इसमें व्यक्ति को पवित्र नदी में स्नान करना होता है जिसके बाद उन्हें पूजा-अर्चना करनी होती है और दान-पुण्य करना होता है।


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क्यों खास है डोल पूर्णिमा

डोल पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से बंगाल, असम, त्रिपुरा, गुजरात, बिहार, राजस्थान और ओडिशा में मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति को पालकी पर बिठाया जाता है और भजन गाते हुए जुलूस निकाला जाता है।

चैत्र महीना व्रत-त्योहार लिस्ट

चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला महीना होता है। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा यह वसंत ऋतु के खत्म होने का प्रतीक भी है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। यह त्योहार हमें धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं।

चैत्र माह की पौराणिक कथा

नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।

चैत्र नवरात्रि पूजा नियम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।

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