नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिंदू नववर्ष के मौके पर पड़ती है। लेकिन क्या आपको चैत्र नवरात्रि से जुड़ी कथा के बारे में पता है? अगर नहीं तो चलिए लेख के जरिए आपको इससे जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च को हिंदू नववर्ष के साथ होगी। वहीं इसका समापन 7 अप्रैल को होगा। कई जगहों पर 6 अप्रैल को भी नवमी का त्योहार मनाया जाएगा। इन दिनों में भक्त व्रत रखेंगे और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करेंगे।
मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का अवतरण हुआ था। दरअसल महिषासुर का आतंक जब बढ़ रहा है तो देवतागण भगवान विष्णु,शिव और ब्रह्मा के पास मदद के लिए पहुंचे। इसके बाद तीनों देवताओं ने मां दुर्गा का जन्म पर विचार किया। फिर भगवान शंकर के तेज से माता का मुख, भगवान विष्णु के तेज से देवी की भुजाएं और भगवान ब्रह्मा के तेज से देवी से चरण बने और मां दुर्गा का जन्म हुआ। देवी देवताओं ने अपने अस्त्र शस्त्र भी मां दुर्गा को दिए। इसकी मदद से देवी ने महिषासुर नामक राक्षस का अंत किया।
घटस्थापना
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। पूजा स्थल को साफ कर, वहां जौ बोएं। फिर एक पात्र में जल भरें, पत्ते लगाएं और उस पर नारियल रखकर पूजा स्थान पर रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसे लाल कपड़े से ढके।
मां दुर्गा की पूजा
पूजा स्थल पर 9 दिनों तक दीप जलाएं। मां दुर्गा का आह्वान करें और फिर माता के मंत्रों का जाप करें।इसके बाद भोग में फल, दूध, मिष्ठान्न आदि अर्पित करें। अंत में माता की आरती करें। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करवाएं।
विसर्जन
नवमी के दिन हवन किया जाता है। हवन में, विभिन्न प्रकार की सामग्री अर्पित की जाती है।नवमी के बाद, घट का विसर्जन किया जाता है।
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में,
रम गयी माँ मेरे रोम रोम में
राम जन्मभूमि पर जाकर,
जीत के दीप जलाएंगे,
राम जपते रहो, काम करते रहो ।
वक्त जीवन का, यूँही निकल जायेगा ।
दुनिया की चकाचौंध भूलूं मैं,
राम सिया राम ही बोलूँ मैं