जब जब इनके भक्तों पे,
कोई संकट आता है,
मेरा लाल लंगोटे वाला,
पल में दौड़ा आता है ॥
जिसके घर में जलती है,
बजरंगबली की ज्योति,
उसके घर में किसी चीज की,
कभी कमी ना होती,
उस घर में धन दौलत बाबा,
खुद बरसाता है,
मेरा लाल लंगोटे वाला,
पल में दौड़ा आता है ॥
नहीं तेरे सुनवाई होइये,
ना मुमकिन है भैया,
सुख में दुःख में बजरंगी ही,
साथ निभाता है,
मेरा लाल लंगोटे वाला,
पल में दौड़ा आता है ॥
जड़ से खत्म करे संकट को,
वो भारी से भारी,
इसके जैसा बलि ना कोई,
देखि दुनिया सारी,
‘नरसी’ तभी तो ये,
संकट मोचन कहलाता है,
मेरा लाल लंगोटे वाला,
पल में दौड़ा आता है ॥
जब जब इनके भक्तों पे,
कोई संकट आता है,
मेरा लाल लंगोटे वाला,
पल में दौड़ा आता है ॥
इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर बोले- हे दशी जनार्दन आपको नमस्कार है। हे देवेश ! मनुष्यों के कल्याण के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का नाम एवं माहात्म्य वर्णन कर यह बतलाइये कि उसकीएकादशी माहात्म्य-भाषा विधि क्या है?
एक समय दालभ्यजी ने प्रजापति ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य जी से प्रश्न किया कि प्रभो! क्या कोई ऐसी भी शक्ति या उपाय है कि जिसके करने से ब्रह्महत्या करने इत्यादि के कुटिल कर्मों के पापों से मनुष्य सरलता पूर्वक छूट जाय भगवन् !
पाण्डुनन्दन भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़ कर नम्रता पूर्वक बोले हे नाथ ! अब आप कृपा कर मुझसे माघ शुक्ल एकादशी का वर्णन कीजिए उस व्रत को करने से क्या पुण्य फल होता है।
इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने फिर भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा कि अब आप कृपाकर फाल्गुन कृष्ण एकादशी का नाम, व्रत का विधान और माहात्म्य एवं पुण्य फल का वर्णन कीजिये मेरी सुनने की बड़ी इच्छा है।