हे त्रिपुरारी गंगाधरी,
सृष्टि के आधार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार ॥
शिव शंकर है नाम तिहारा,
चंद्रशेखर शिव अगहारा,
दानी महादानी शिव शंकर,
दानी महादानी शिव शंकर,
करते बेड़ा पार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार ॥
गौरा जी के प्राण प्यारे,
कार्तिक गणपत आँख के तारे,
त्रिपुंड धारी है नटराजा,
पहने सर्प हार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार ॥
नीलकंठ जय भीमाशंकर,
महाकाल जय जय अभ्यंकर,
मृगछाला और भस्मी धारी,
जय जय डमरू धार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार ॥
हे त्रिपुरारी गंगाधरी,
सृष्टि के आधार,
शंकर किरपा करुणाकार,
भोले किरपा करुणाकार ॥
दया कर दान विद्या का,
हमें परमात्मा देना,
शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,
हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है, जो साधकों को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि प्रदान करते हैं।
इस वर्ष 22 नवंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी, जो हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।