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हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो (Hanuman Ji Kabhi Mere Ghar Bhi Padharo)

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो (Hanuman Ji Kabhi Mere Ghar Bhi Padharo)

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो,

बुद्धि विवेक की बारिश करके,

बुद्धि विवेक की बारिश करके,

मेरा भी जीवन तारो,

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥


तुम बलशाली हो ग्रन्थ के ज्ञाता,

तुम बिन कोई भी पार ना पाता,

तेरी महिमा गाके हनुमत,

तेरी महिमा गाके हनुमत,

तर गए लाख हजारो,

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥


सादर सेवा की भाव जगी है,

तेरे दरश की आस लगी है,

हम है तुम्हरे भक्त वो हनुमत,

हम है तुम्हरे भक्त वो हनुमत,

ऐसे ना हमको बिसारो,

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥


भक्त परदेसी के तुम हितकारी,

गावे ‘निरंजन’ महिमा तुम्हारी,

जीवन नैया बिच भंवर में,

जीवन नैया बिच भंवर में,

आके पार उतारो,

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥


हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो,

बुद्धि विवेक की बारिश करके,

बुद्धि विवेक की बारिश करके,

मेरा भी जीवन तारो,

हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों ॥

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शंकर चौड़ा रे (Shankar Chaura Re)

शंकर चौड़ा रे, महामाई कर रही सोलह रे।
सिंगार माई कर रही, सोलह रे

मेरी अंखियों के सामने ही रहना ओ शेरोंवाली जगदम्बे

मेरी अखियों के सामने ही रहना, ओ, शेरों वाली जगदम्बे
(मेरी अखियों के सामने ही रहना, ओ, शेरों वाली जगदम्बे)

तेरे दरबार में मैय्या खुशी मिलती है

तेरी छाया मे, तेरे चरणों में,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तों में॥

वो है जग से बेमिसाल सखी

कोई कमी नही है, दर मैय्या के जाके देख।
देगी तुझे दर्शन मैय्या, तू सर को झुका के देख।

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