गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
ब्रह्माकी जय-जय, विष्णूकी जय-जय ।
उमा- पति शिव शंकरकी जय-जय ॥ २ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
राधाकी जय-जय, रुक्मिणिकी जय-जय ।
मोर-मुकुट वंशीवारेकी जय-जय ॥ ३ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
गंगाकी जय-जय, यमुनाकी जय-जय ।
सरस्वती, तिरवेणीकी जय-जय ॥ ४ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
रामकी जय-जय श्यामकी जय-जय ।
दशरथ-कुँवर चारों भैयों की जय-जय ॥ ५ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
कृष्णाकी जय-जय, लक्ष्मीकी जय-जय ।
कृष्ण-बलदेव दोनों भइयोंकी जय-जय ॥ ६ ॥
गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥
सनातन धर्म में सप्ताह के हर एक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक शनिवार का दिन है, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
हिंदू धर्म में सप्ताह का सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में सप्ताह का आखिरी दिन यानी रविवार भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है।
हिंदू धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
सनातन धर्म में मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि मंगलवार को अगर कोई भी भक्त बजरंगबली की सच्चे मन और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है तो हनुमान जी अपने भक्त को निराश नहीं करते हैं।