भरोसा कर तू ईश्वर पर,
तुझे धोखा नहीं होगा ।
यह जीवन बीत जायेगा,
तुझे रोना नहीं होगा ॥
कभी सुख है कभी दुख है,
यह जीवन धूप-छाया है ।
हँसी में ही बिता डालो,
बिताना ही यह माया है ॥
जो सुख आवे तो हंस लेना,
जो दुःख आवे तो सह लेना ।
न कहना कुछ कभी जग से,
प्रभु से ही तू कह लेना ॥
यह कुछ भी तो नहीं जग में,
तेरे बस कर्म की माया ।
तू खुद ही धूप में बैठा,
लखे निज रूप की छाया ॥
कहां पे था, कहां तू था,
कभी तो सोच ए बन्दे !
झुकाकर शीश को कह दे,
प्रभु वन्दे ! प्रभु वन्दे ॥
भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इसी कारण, किसी भी नए कार्य की शुरुआत भगवान की आराधना के साथ की जाती है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण परंपरा वाहन पूजा है।
किसी भी व्यक्ति के लिए नया व्यापार शुरू करना जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। यह एक नई उम्मीद और सपनों की शुरुआत होती है। इसी कारण हर व्यवसायी अपनी दुकान की स्थापना के समय पूजा करता है।
विवाह एक पवित्र संस्कार, जो दो लोगों को 7 जन्मों के लिए बांधता है। यह न केवल दो व्यक्तियों का मिलन है, बल्कि दो परिवारों का भी मिलन है। इसे हिंदू संस्कृति में एक पवित्र अनुष्ठान माना गया है।
जनेऊ संस्कार को उपनयन संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। यह संस्कार बालक के जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने का प्रतीक है।