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चोपड़ा महादेव मंदिर, धौलपुर (Chopra Mahadev Temple, Dholpur)

चोपड़ा महादेव मंदिर, धौलपुर (Chopra Mahadev Temple, Dholpur)

500 साल पुराना है चोपड़ा महादेव का ये मंदिर, अष्टकोणीय गर्भगृह उन्नत वास्तुकला का उदाहरण 


वास्तु सिद्ध, अष्टकोणीय, शिव यंत्र के आकार का प्राचीन कैलाश धाम राजस्थान के धौलपुर में चोपड़ा महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री जयेंद्र सरस्वती ने भी इस मंदिर में श्री शिव का रुद्राभिषेक किया है। मंदिर परिसर में एक कुंड भी स्थित है। इस कुंड के चौकोर आकार होने के कारण, इस मंदिर का नाम चौपड़ा मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। यह धौलपुर जिला मुख्यालय का सबसे पुराना शिव मंदिर है।


मंदिर का निर्माण और वास्तुकला


चोपड़ा शिव मंदिर के निर्माण के बारे में कोई लेख नहीं मिलती है। पर पुरातत्व विभाग की जांच के अनुसार इस ये मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। इस मंदिर की ऊंचाई 150 फुट है। गर्भगृह में जाने के लिए 25 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर वास्तुकला के नजरिए से अनूठा है, इसका गर्भगृह अष्टकोणीय है। जिसे श्री शिव यंत्र के रुप में भी देखा जाता है। इसकी आठों दीवारों में आठ दरवाजे भी हैं। हर दरवाजे पर आकर्षक मूर्तियां उकेरी गई है, और मंदिर के प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा जी की मूर्ति विराजमान है। मंदिर का उन्नत शिखर भी बहुत आकर्षक और बारीक खूबसूरत नक्काशी के साथ बना है। मंदिर का वास्तविक नाम प्राचीन कैलाश धाम है।


मंदिर के त्योहार


मंदिर में पूजन-अर्चन क्रिया श्री गणेश आचार्य की देख-रेख में पूरे शास्त्रोक्त विधान से सम्पन्न होती हैं। शिवरात्रि, सावन माह एवं साप्ताहिक सोमवार को भारी संख्या में भक्तजन पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर में इकट्ठा होते है। 


चोपड़ा महादेव मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग -  यहां का निकटतम हवाई अड्डा आगरा का पंडित दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन धौलपुर का धौलपुर जंक्शन है। यहां से आप मंदिर तक के लिए रिक्शा ले सकते हैं।

सड़क मार्ग - यह मंदिर ग्वालियर-आगरा मार्ग पर बाईं ओर लगभग सौ कदम की दूरी पर स्थित है। आप यहां आराम से पहुंच सकते हैं।


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ऋषि गौतम (Rishi Gautam)

गौतम का उल्लेख ऋग्वेद में अनेक बार हुआ है, किन्तु किसी ऋचा के रचयिता के रूप में गौतम को कभी नहीं देखा गया।

महामाया शक्तिपीठ, अमरनाथ, जम्मू-कश्मीर (Mahamaya Shaktipeeth, Amarnath, Jammu and Kashmir)

म्मू- कश्मीर स्थित अमरनाथ की बर्फीली पहाड़ियों के बीच विश्व प्रसिद्ध बर्फीले शिवलिंग के अलावा अमरनाथ धाम, महामाया शक्तिपीठ भी भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती को इसी स्थान पर अमरत्व का पाठ पढ़ाया था।

फुलारा शक्तिपीठ, बीरभूम, पश्चिम बंगाल (Phulara Shaktipeeth, Birbhum, West Bengal)

माँ फुलारा शक्तिपीठ या अट्टहास शक्तिपीठ सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है, जहां मां सती का "निचला होंठ" गिरा था।

बहुला शक्तिपीठ, बर्धमान, पश्चिम बंगाल (Bahula Shaktipeeth, Bardhaman, West Bengal)

मां बहुला मंदिर बर्धमान स्थित कटवा से 8 किलोमीटर की दूरी पर केतु ग्राम में अजय नदी के तट पर स्थित है।

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