सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया,
आओ राघव साँवरिया ॥
शिव शंकर ने आगे बढ़कर अपना डमरू बजाया,
गन्धर्वों ने ताल मिला कर प्रभु की स्तुति गाया,
सब हरष रहे मेघ बरस रहे,
अमृत की सरस फुहार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
नौमि तिथि मधुमास पुनीता,
शुक्ल पक्ष अभिजीत हरी प्रीता,
मध्य दिवस अति शीत न धामा,
सकल काल लोक विश्राम,
ब्रम्हा वेद पढ़ें सुर यान चढ़ें,
फूलन की करें बौछार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
जो लगन गृह वार तिथि,
अनुकूल वो सब आई,
मनि आरे पर्वत सब महि,
सोलह श्रृंगार कर छायी,
कल्याण मूल मिले दोउ कुल,
सरयू बढ़ गयी अपार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना है।
हिंदू धर्म में मोर पंख का सबसे प्रसिद्ध संबंध भगवान श्री कृष्ण से है। श्री कृष्ण के मुकुट में मोर पंख सजे होते थे। इसे उनके सौंदर्य और दिव्यत्व का प्रतीक माना जाता है। कुछ शास्त्रों के अनुसार, मोर पंख भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि वह मोर के प्रिय हैं और मोरपंख उनके संगीत और नृत्य के प्रतीक के रूप में दिखता है।
महाकुंभ की शुरुआत अगले महीने से होने जा रही है। साधु-संत के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। पहला शाही स्नान 13 जनवरी को होने वाला है। अब जब शाही स्नान की बात आ ही गई हैं, तो आपके दिमाग में नागा साधुओं का नाम जरूर आया होगा। भगवान शिव के उपासक और शैव संप्रदाय के ताल्लुक रखने वाले नागा साधु शाही स्नान के कारण चर्चा में रहते हैं।
जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।