Logo

श्री गोविंद देव जी मंदिर जयपुर (Shri Govind Dev Ji Temple, Jaipur)

श्री गोविंद देव जी मंदिर जयपुर (Shri Govind Dev Ji Temple, Jaipur)

गोविंद देव जी मंदिर में क्यों नहीं दिखते राधा रानी के पांव, जानिए क्या है मंदिर से जुड़ा रहस्य 


गोविंद देव जी मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक मंदिर है। जयपुर में स्थित इस मंदिर में दुनिया भर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। बता दें कि यहां ठाकुर जी की कोई साधारण प्रतिमा नहीं है। इस प्रतिमा को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ जी ने बनवाई थी। हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। जयपुर में स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर में कोई शिखर नहीं है। मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।


मंदिर का इतिहास

 

धार्मिक मान्यता है कि एक बार भगवान कृष्ण के प्रपौत्र ने अपनी दादी से भगवान कृष्ण के स्वरूप के बारे में पूछा और कहा कि आपने तो भगवान कृष्ण के दर्शन किए थे तो बताइए कि उनका स्वरूप कैसा था? श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को दादी जैसे-जैसे बताती गई वैसे-वैसे वो प्रतिमा को आकार देते गए। भगवान कृष्ण के स्वरूप को जानने के लिए उन्होंने जिस काले पत्थर पर 3 मूर्तियों का निर्माण किया। पहली मूर्ति में भगवान कृष्ण के मुखारविंद की छवि आई जो आज भी जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में विराजमान है। 


यहां नहीं दिखते राधा रानी के पैर


मान्यता के अनुसार माता राधा के चरण बेहद पवित्र हैं और उनके दर्शन मात्र से जीवन सफल हो जाता है। भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि उन्हें स्वयं राधा रानी के चरण कमलों के दर्शन करने का सौभाग्य नहीं ऐसी मान्यता है कि राधा रानी के चरण कमल बहुत दुर्लभ हैं और श्री कृष्ण हमेशा उनके चरणों को अपने हृदय के पास रखते हैं। इसलिए, उनके चरण हमेशा ढके रहते हैं। कोई भी व्यक्ति उनके चरणों को इतनी आसानी से प्राप्त नहीं कर सकता है। कुछ मंदिरों में जन्माष्टमी पर उनके चरणों को कुछ समय के लिए खुला रखा जाता है।


कैसे पहुंचे 


जयपुर में गोविंद जी मंदिर सिटी पैलेस परिसर के अंदर जलेब चौक के पास स्थित है। यहां सभी साधनों और परिवहन के साधनों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन है। सिटी पैलेस तक पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन से टैक्सी ले सकते हैं। 


समय  : सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे, शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक
........................................................................................................
जय जय सुरनायक जन सुखदायक (Jai Jai Surnayak Jan Sukhdayak Prantpal Bhagvant)

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता ॥

जय जयकार माता की (Jai Jaikaar Karo Mata Ki)

जय जयकार माता की,
आओ शरण भवानी की

जय महांकाल जय महांकाल (Jai Mahakal Jai Mahakal)

जय महाकाल जय महाकाल,
जय महांकाल जय महांकाल,

जय महाकाली शेरावाली, सारे जग की तू रखवाली (Jai Mahakali Sherawali Saare Jag Ki Tu Rakhwali)

जय महाकाली शेरावाली,
सारे जग की तू रखवाली,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang