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गोगामेड़ी मंदिर, हनुमानगढ़, राजस्थान (Gogamedi Temple, Hanumangarh, Rajasthan)

गोगामेड़ी मंदिर, हनुमानगढ़, राजस्थान (Gogamedi Temple, Hanumangarh, Rajasthan)

सांपों के देवता माने जाते हैं गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ के इस गांव में है ऐतिहासिक मंदिर


झुंझुनू के गुढ़ा गोरजी कस्बे के धमोरा गांव में एक गोगामेड़ी धाम है जो की सैकड़ो साल पुराना बताया जाता है। सैकड़ों साल पुराने इस गोगाजी  मंदिर में 2011 से लगातार धमोरा गांव ही नहीं बल्कि आसपास की पांच सात गांव के लोग एकत्रित होकर मेले का आयोजन करते है। यहां हर साल भाद्रप्रद माह के शुक्लपक्ष को मेला लगता है जो लाखों भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह मेला एक माह तक पूरे जोर-शोर से चलता है। इस मेले में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिनमें कबड्डी, कुश्ती वॉलीबॉल की प्रतियोगिताएं होती हैं। 


बता दें कि राजस्थान में बाबा रामदेव और गोगाजी महाराज प्रमुख लोक देवता हैं, जिन्हें लाखों लोग देवता के रूप में मानते और पूजते हैं। बाबा के दर्शन करने के लिए राजस्थान के लगभग विभिन्न जिलों के अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु गोगामेड़ी पहुंचते हैं। 


मंदिर की विशेषता 


भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए आते हैं और जन्म स्थान पर बने मंदिर पर मत्था टेककर मन्नत मांगते हैं। बता दें कि गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है। गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर साँप की मूर्ति बनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि सर्पदंश से प्रभावित व्यक्ति को यदि गोगाजी की मेडी पर लाया जाए तो उस व्यक्ति को सर्प विष से मुक्ति मिल जाती है। 


मंदिर का इतिहास

 

गोगाजी को जाहरवीर गोगा जी के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पूजा हिंदू और मुस्लिम दोनों करते हैं। गोगामेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा प्रतीक है, जहां एक हिंदू और एक मुस्लिम पुजारी खड़े रहते हैं। गोगामेडी में गोगाजी का मंदिर एक ऊंचे टीले पर मस्जिद की तरह बना हुआ है, इसकी मीनारें मुस्लिम वास्तुकला का संकेत देती हैं। मुख्य द्वार पर बिस्मिल्लाह अंकित है। 


मंदिर के मध्य में गोगाजी की समाधि है। जानकारी के अनुसार, सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक गोगाजी का मंदिर सम्राट फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था। फिरोज तुगलक ने गोगामेडी में एक मस्जिद जैसा मंदिर बनवाया और यह एक कंक्रीट का मकबरा बन गया। इसके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार 1887 और 1943 में बीकानेर के महाराज के शासनकाल में कराया गया।गोगाजी का यह मंदिर आज हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी की आस्था का केंद्र है। भादव माह में यहां सभी धर्मों के श्रद्धालु गोगा मजार के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। 


कैसे पहुंचे 


गोगामेड़ी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। गोगामेड़ी को जाने के लिये रेलमार्ग और सड़क मार्ग दोनों से जा सकते है। मेले के समय पर कई स्पेशल एक्सप्रेस और पैसेजर गाड़ी चलाई जाती है। इसके साथ रोडवेज दिल्ली, रेवाड़ी सहित अन्य शहरों से गोगामेड़ी को जाती है।

समय : सुबह 5:00 बजे से रात  10:00 बजे 


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भोग लगाने के बाद ही भोजन क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना करने के दौरान देवी-देवताओं को भोग लगाने का विशेष महत्व है। बिना भगवान को भोग लगाए पूजा अधूरी मानी जाती है।

घर में मंदिर कहां होना चाहिए?

घर का मंदिर एक पवित्र स्थान है जहां हम अपने आराध्य देवों की पूजा करते हैं। यह न केवल हमारी भक्ति के केंद्र है, बल्कि आस्था का मार्ग भी दिखाता है।

शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?

हिंदू धर्म में भगवान शिव को दया और करुणा का सागर माना जाता है। महादेव का स्वभाव बेहद भोला है, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसका कल्याण निश्चित होता है।

दक्षिणमुखी घर में पूजा क्यों नहीं होती?

अपना घर बनाते समय दिशा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा को यमराज से जोड़ा जाता है और दक्षिण मुखी घर अशुभ माना जाता है।

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