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जानकी जयंती पर मां सीता की विशेष पूजा

जानकी जयंती पर मां सीता की विशेष पूजा

Janaki Jayanti Puja Vidhi: जानकी जयंती पर पाना चाहते हैं माता सीता का आशीर्वाद? यहां जानें विशेष पूजा विधि और महत्व


हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान राम की पत्नी मां सीता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा जनक ने माता सीता को इस तिथि पर पुत्री के रूप में स्वीकार किया था, इसलिए इस दिन माता सीता और भगवान राम की सच्चे मन से पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है। देवी सीता को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। विवाहित महिलाओं को विशेष रूप से जानकी जयंती की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पवित्र स्नान करें और भाव के साथ राम दरबार की पूजा करें। इसके बाद सीता चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती से पूजा को पूर्ण करें। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं जानकी जयंती पर मां सीता की विशेष पूजा कैसे करनी चाहिए।


जानकी जयंती 2025 कब है?


पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 फरवरी को सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर होगी, जो 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक जारी रहेगी। इसलिए जानकी जयंती यानी मां सीता का जन्मदिन 21 फरवरी 2025 को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।


जानकी जयंती का महत्व


हिंदू धर्म में जानकी जयंती का विशेष महत्व है, जिसे सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर राजा जनक को माता सीता की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने माता सीता को अपनी संतान के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन माता सीता के साथ भगवान राम की पूजा और व्रत का पालन करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इस दिन पूजा के दौरान विशेष स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।


जानकी जयंती विशेष पूजा विधि


जानकी जयंती के दिन माता सीता की विशेष पूजा करने के लिए इस विधि का पालन कर सकते हैं-


सामग्री:

  • माता सीता की मूर्ति या चित्र
  • फूल
  • फल
  • प्रसाद
  • दीपक
  • आरती की पुस्तक
  • माता सीता की कथा की पुस्तक


पूजा विधि:


  • स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद माता सीता का स्मरण करके व्रत का संकल्प लें।
  • मूर्ति स्थापना: घर के मंदिर में माता सीता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  • पूजा और सजावट: माता सीता की मूर्ति या चित्र को फूल, फल से सजाएं और प्रसाद चढ़ाएं।
  • दीपक जलाना और आरती: माता सीता की पूजा करने के लिए दीपक जलाएं और आरती करें।
  • कथा सुनना: माता सीता की कथा सुनें और उनके जीवन से प्रेरणा लें।
  • प्रसाद वितरण और भोजन: माता सीता की पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरित करें और अपने परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

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कालाष्टमी पर क्या दान करें?

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2024 के नवंबर माह में ये तिथि 22 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जो तंत्र-मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।

कालाष्टमी की मंत्र जाप

कालाष्टमी पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। जब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव समय के भी स्वामी हैं।

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