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होलिका दहन पूजा विधि

होलिका दहन पूजा विधि

Holika Dahan Puja Vidhi: कैसे करें होलिका दहन पर पूजा? यहां जानिए पूजा विधि और होलिका दहन का महत्व


होली का त्योहार एकता, आनंद और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है। इसलिए, इसकी धूम पूरी दुनिया में है। दिवाली के बाद यह दूसरे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली क्षमा और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। होलिका दहन हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन होली खेली जाती है। होली के उत्सव के साथ-साथ होलिका की अग्नि में सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश किया जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि होलिका दहन की पूजा विधि और इसका महत्व क्या है।


होलिका दहन तिथि:


फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च, गुरुवार, प्रातः 10:35 से होगा, जबकि फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 14 मार्च, शुक्रवार, दोपहर 12:23 को हो जाएगी।


होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:


होलिका दहन का मुहूर्त गुरुवार, 13 मार्च 2025 रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय मिलेगा।


ऐसे करें होलिका की तैयारी:


होलिका दहन के कुछ दिन पहले से ही किसी एक स्थान पर पेड़ की टहनियां, गोबर की उप्पलें, सुखी लकड़ियां, घास-फूस आदि इकट्ठा की जाती हैं। फिर होलिका दहन के एक दिन पहले वहां सुखी लकड़ी, उप्पलें आदि रखे जाते हैं। होलिका दहन का दिन आते-आते तक उस स्थान पर सुखी लकड़ियों एवं उप्पलों का बड़ा सा ढेर लग जाता है।


होलिका दहन की पूजा विधि:


  • इस दिन गंगाजल से स्नान करें।
  • अब पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  • इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
  • होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाकर एक थाली में रखें।
  • इसके साथ रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल और एक कलश भरकर रखें।
  • अब होलिका की पूजा करें।
  • फिर भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, चंदन, पांच प्रकार के अनाज और फूल अर्पित करें। साथ ही नरसिंह भगवान की पूजा करें।
  • फल, गुझिया, मीठी पूरी आदि का भोग लगाएं।
  • इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात परिक्रमा करें।
  • अब मन में ही अपनी मनोकामनाएं कहें।
  • अब गुलाल डालकर जल चढ़ाएं।
  • अंत में अग्नि को जल अर्घ्य दें और अग्निदेव को प्रणाम करें।


जानिए होलिका दहन का महत्व:


होलिका दहन का महत्व पौराणिक कथाओं से कहीं अधिक है। होलिका के जलाने की परंपरा आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता का प्रतीक है। यह व्यक्तियों को होली के उत्सव के लिए तैयार करती है। इसके अतिरिक्त, होलिका दहन कृषि चक्र से भी संबंधित है। यह पर्व देवताओं को भरपूर फसल के लिए प्रतीकात्मक रूप से अर्पित किया जाता है और आने वाले वर्ष में समृद्धि और प्रचुरता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है।


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