महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान से होने वाली है और यह 26 जनवरी तक चलेगा। बता दें कि इस साल लगने वाला महाकुंभ होगा वो 144 साल बाद लग रहा है। बता दें, प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में पंडों को विशेष रूप से 'तीर्थराज' और 'प्रयागवाल' के नाम से जाना जाता है। महाकुंभ में प्रयागवाल का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं विस्तार इसके बारे में...
महाकुंभ में प्रयागवाल का विशेष महत्व होता है। प्रयागराज की धार्मिक परंपराओं में प्रयागवालों का अहम योगदान रहा है। सदियों से ये तीर्थ गुरु के रूप में पूजे जाते रहे हैं और धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करते आए हैं। एक समूह के रूप में रहने के कारण इन्हें प्रयागवाल कहा जाता है।
ये उच्च कोटि के ब्राह्मण होते हैं, जिनमें सरयूपारी और कान्यकुब्ज दोनों शामिल हैं। इसके साथ ही प्रयागराज के पंडों के पास देश-विदेश में रहने वाले भारतीयों के पूरे परिवार का 500 साल पुराना रिकॉर्ड भी रहता है। वो जानते हैं कि कौन किसका यजमान है और कहां से आया है। यह पंडे बहुत पुराने समय से ही प्रयागराज आने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखते आए हैं।
मैं चाहूँ सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
माँ ! मुझे तेरी जरूरत है ।
कब डालोगी, मेरे घर फेरा
माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी।
ज्योत जगा के, सर को झुका के,
मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ,
दोनों मैया बड़ी प्यारी है ।