हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का अत्यंत पावन महत्व है। यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आती है और भगवान विष्णु की आराधना के लिए प्रमुख मानी जाती है। इस व्रत को करने से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस दिन देवी तुलसी का पूजन और उनके विशेष मंत्रों का जाप करना भी अत्यंत शुभ और फलदायी होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी तुलसी को भगवान विष्णु की अति प्रिय भक्त माना जाता है। हर एकादशी पर विशेष रूप से तुलसी पत्र के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण और गरुड़ पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेख है कि एकादशी पर देवी तुलसी की पूजा करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
देवी तुलसी को माता लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है और वे धन, समृद्धि, सौभाग्य तथा वैवाहिक सुख की प्रतीक हैं। इस कारण योगिनी एकादशी जैसे पुण्य दिन पर तुलसी पूजन और मंत्र जाप विशेष फलदायक होता है।
भोला तन पे भस्म लगाये,
मन में गौरा को बसाये,
लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
चले पवन की चाल,
चली चली रे,
चली चली रे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
पल पल यूँ आठों पहर धीरे धीरे,