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कैसे हुई भाई दूज मनाने की शुरुआत

कैसे हुई भाई दूज मनाने की शुरुआत

Bhai Dooj 2024: क्यों मनाया जाता है भाई दूज, जानिए यम द्वितीया मनाने की पौराणिक कहानी


पांच दिवसीय दीपावली त्योहार का समापन भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है। भाई दूज को भाई फोंटा, भाई टीका, भाऊ बीज या यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज दो शब्द भाई और दूज के मेल से बना है। भाई दूज भारत में रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं। उनकी समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। भाई इस दिन बहन को बहुत से उपहार देते हैं। 


क्यों मनाते हैं भाई दूज


भाई दूज को लेकर कई कथाएं हैं। पहली कथा भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ी है। जब भगवान कृष्ण ने राक्षस हेलासुर को पकड़ा और अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे तो देवताओं ने उनकी स्तुति कर आरती की। सुभद्रा ने श्रीकृष्ण का तिलक कर उन्हें मिष्ठान खिलाया और शुभकामनाएं प्रेषित कीं। इसके बाद कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए बहन की रक्षा करने का वचन दिया। कहते हैं यही से भाई दूज की शुरुआत हुई।


यम द्वितीया: यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी कहानी 


प्रसंग के अनुसार एक दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन से मिलने पहुंचे तो उनकी बहन यमुना ने उनका स्वागत आरती और तिलक लगा कर किया। इस पर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हुए कहा कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा। उसे लंबी और समृद्ध आयु प्रदान होगी। यही कारण है कि भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।


भाई दूज 2024 इस दिन मनाएं 


हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 02 नवंबर 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा और समापन 03 नवंबर 2024 को होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 3 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। द्वितीया तिथि 2 नवम्बर को रात 8:21 बजे शुरू होगी और 3 नवंबर को रात्रि 10:05 बजे समाप्त होगी।


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महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि , Mahishasuramardini Stotram - Aayi Girinandini

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

दुर्गा पूजा पुष्पांजली

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥ Pratham Puspanjali Mantra
om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र (Shiv Panchakshar Stotram )

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ ॥ Shrishivpanchaksharastotram ॥
nagendraharay trilochanay,
bhasmangaragay maheshvaray .
nityay shuddhay digambaray,
tasmai na karay namah shivay .1.

श्री रुद्राष्टकम् मंत्र (Sri Rudrashtakam Mantra)

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ ॥ Shrirudrashtakam ॥
namaamishmishan nirvanarupam
vibhum vyapakam bramvedasvarupam .
nijam nirgunam nirvikalpam niriham
chidakashamakashavasam bhaje̕ham . 1.

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