भारतीय संस्कृति में अमावस्या तिथि का हमेशा से विशेष महत्व रहा है। खासकर वैशाख मास की अमावस्या, जिसे 'वैशाख अमावस्या' कहा जाता है। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस वर्ष की वैशाख अमावस्या एक महत्वपूर्ण तिथि है, इसलिए इस दिन कुछ कार्यों से परहेज कर हम अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रख सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, वैशाख अमावस्या पर विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन या अन्य मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस दिन चंद्रमा का प्रभाव बहुत कम होता है, जिससे वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। ऐसे में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से बचना चाहिए।
वैशाख अमावस्या के दिन किसी से झगड़ा, अपशब्द बोलना, दूसरों को किसी भी तरह का हानि पहुंचाना या कोई अन्य हिंसात्मक कार्य करने से बचना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए गए ऐसे कार्य आपके जीवन में नकारात्मकता और दुर्भाग्य ला सकते हैं।
वैशाख अमावस्या की शुभ तिथि पर शराब पीना और मांसाहारी भोजन का सेवन करना हिंदू धर्म में सख्त वर्जित है, क्योंकि यह जीवन में दुर्भाग्य ला सकता है और आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
वैशाख अमावस्या पर दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना गया है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, यदि दान अनुचित और अनैतिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए किया जाए, तो वह पुण्य नहीं बल्कि पाप का कारण बनता है। इसलिए इस दिन केवल जरूरतमंद और योग्य व्यक्तियों को ही दान देना चाहिए।
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इसी दिन से व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन खरना विशेष महत्व रखता है और इसे एकांत या बंद कमरे में संपन्न किया जाता है।
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। जिसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण है।
छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से मनाया जाने वाला पर्व है। जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
हमारे देश में छठ पूजा का पर्व सूर्य और छठी मैया की उपासना का प्रमुख पर्व है ये चार दिनों तक चलता है। यह पर्व विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई वाले हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।