नरसिंह जयंती का पर्व भगवान विष्णु के चौथे अवतार, श्री नृसिंह भगवान के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल नृसिंह जयंती 12 मई को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष पूजा, व्रत और मंत्र जाप का अत्यंत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान नृसिंह के मंत्रों का जाप करने से जीवन में सभी तरह के दुख, पीड़ा और कष्टों का अंत होता है।
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप जैसे अत्याचारी राक्षस का अंत कर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। वे आधे सिंह और आधे मानव के रूप में प्रकट हुए थे। उनका रूप भक्तों को यह विश्वास दिलाता है कि जब अन्याय अपनी सीमा लांघता है, तो स्वयं भगवान अधर्म का विनाश करने प्रकट होते हैं।
नरसिंह मंत्रों के जाप से मानसिक तनाव, भय, बाधाएं और जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं। साथ ही, भक्तों को भगवान नरसिंह की कृपा से सुख, शांति, समृद्धि और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में सोने और चांदी की धातुओं का विशेष महत्व है। सदियों से ये भारतीय घरों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। भारतीय संस्कृति में सोना-चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इसके लिए वे नकद और तिजोरी की पूजा करते हैं। भारतीय परंपरा में नकद और तिजोरी धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।
हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।