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नकद-तिजोरी पूजा विधि

नकद-तिजोरी पूजा विधि

Nagad Tijori Puja Vidhi: नकद और तिजोरी की पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान, जानें पूजा विधि


हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इसके लिए वे नकद और तिजोरी की पूजा करते हैं। भारतीय परंपरा में नकद और तिजोरी धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। आमतौर पर इनकी पूजा धनतेरस, दिवाली या अन्य शुभ अवसरों पर की जाती है। इस पूजा का उद्देश्य न केवल आर्थिक समृद्धि प्राप्त करना है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना भी है। आइए जानते हैं पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।


नकद और तिजोरी की पूजा का महत्व:


नकद और तिजोरी की पूजा माता लक्ष्मी की आराधना का एक हिस्सा है। देवी लक्ष्मी को धन-धान्य की देवी माना जाता है, जिनकी कृपा से व्यक्ति का भंडार भरा रहता है। इस पूजा से पैसों की बरकत बनी रहती है और आय में वृद्धि होती है। यह पूजा दर्शाती है कि व्यक्ति अपने घर में आने वाले धन का सम्मान करता है और इसका सदुपयोग करता है।


नकद और तिजोरी की पूजा विधि:


  • पूजा स्थान पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • तिजोरी और नकद को साफ करें और उन्हें लाल या पीले कपड़े पर रखें।
  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर दीपक जलाएँ और पूजा सामग्री जैसे सुपारी, चावल, हल्दी, कुमकुम, फूल, और मिठाई रखें।
  • तिजोरी की पूजा से पहले उस पर स्वास्तिक बनाकर कुमकुम का तिलक लगाएँ और चावल चढ़ाएँ।
  • नकद को भी हल्दी-कुमकुम लगाकर फूल अर्पित करें।
  • तिजोरी की पूजा करते समय उसमें चांदी का सिक्का और हल्दी की गांठ रखना शुभ माना जाता है।
  • अंत में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और परिवार के साथ समृद्धि की कामना करें।


शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक:


नकद और तिजोरी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। धनतेरस और दिवाली की रात को लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दौरान प्रदोष काल और स्थिर लग्न में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अन्य दिनों में पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए ताकि देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त हो और आर्थिक समृद्धि बनी रहे।


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