हिंदू धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस दिन को हर महीने मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं। खासकर, शिवलिंग पर जलाभिषेक करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि पर सच्चे मन से व्रत और जलाभिषेक करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस लेख में जानें कि किस विधि से भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए।
इस साल मासिक शिवरात्रि 27 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार:
1) स्नान और स्वच्छता:
2) पूजा स्थल की सफाई:
3) अभिषेक का तरीका:
4) पत्तों की अर्पण:
5) धूप-दीप जलाना:
6) भोग अर्पित करना:
7) मंत्र जाप:
i) भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें:
ii) कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें।
8) आरती:
1) दुखों का निवारण:
मासिक शिवरात्रि पर किया गया व्रत और पूजन जीवन के सभी दुखों को दूर करता है।
2) कष्टों का नाश:
भगवान शिव की पूजा से जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
3) विवाह में बाधाएं दूर करना:
यदि किसी के विवाह में बाधा आ रही हो, तो मासिक शिवरात्रि का व्रत उन बाधाओं को समाप्त करता है।
4) चंद्रमा से जुड़ी समस्याओं का समाधान:
भगवान शिव का जलाभिषेक करने से कुंडली में चंद्रमा से जुड़ी समस्याओं का निवारण होता है।
सनातन धर्म में साधू-संतों का काफी महत्व है। साधु-संत भौतिक सुखों को त्यागकर सत्य व धर्म के मार्ग पर चलते हैं। इसके साथ ही उनकी वेशभूषा और खान-पान आम लोगों से बिल्कुल भिन्न होती है। उनको ईश्वर की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। साधू-संत आमतौर पर पीला, केसरिया अथवा लाल रंगों के वस्त्र धारण करते हैं।
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