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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें ये उपाय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें ये उपाय

साल की आखिरी पूर्णिमा पर करें ये तीन जरूरी उपाय, मिलेंगे शुभ फल 


मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, स्नान-दान और भगवान की आराधना करने से साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण, विष्णु जी और चंद्रदेव की पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। इसके साथ ही, यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं, तो व्यक्ति को मनोवांछित फल और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।


कब है साल की आखिरी पूर्णिमा ?


साल 2024 की आखिरी पूर्णिमा मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ रही है। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर 2024 को दोपहर 04:58 बजे आरंभ होकर 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 02:31 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 15 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा।


स्नान-दान का शुभ मुहूर्त


मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त में पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।


  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:17 बजे से 06:12 बजे तक।
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक।



मार्गशीर्ष पूर्णिमा के 3 अचूक उपाय


  • तुलसी की पूजा: इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और धन का आगमन होता है। तुलसी के पौधे पर जल और कच्चा दूध अर्पित करें। पौधे पर लाल रंग का कलावा बांधें। शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह उपाय करने से देवी तुलसी की कृपा प्राप्त होती है।
  • सत्यनारायण की पूजा: इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा का आयोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत के दौरान भगवान सत्यनारायण की पूजा करें। 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। देवता को दीप, धूप, फूल, फल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। शाम को सत्यनारायण कथा का आयोजन करवाएं। इस उपाय से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
  • शंख की पूजा: यदि जीवन में परेशानियां आ रही हों या आर्थिक तंगी हो, तो इस उपाय से राहत मिलती है। शंख में जल भरकर विष्णु जी की मूर्ति का अभिषेक करें। पूजा के दौरान गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें। पूजा के बाद शंख के जल का पूरे घर में छिड़काव करें। यह उपाय घर के वास्तु दोष को समाप्त करता है और खुशियों का आगमन करता है।

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धैर्य लक्ष्मी की महिमा

धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है।

धान्य लक्ष्मी की महिमा

धान्य लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का तीसरा रूप हैं जिसे मां अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा गया है। धान्य का अर्थ है अनाज या अन्न। ऐसे में लक्ष्मी इस स्वरूप में अन्न या अनाज के रूप में वास करती हैं।

वीर लक्ष्मी की महिमा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्ट लक्ष्मी में वीर लक्ष्मी वीरता और साहस की देवी हैं। जो दुश्मनों पर विजय दिलाने में सहायक हैं। वीर लक्ष्मी की प्रचलित पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।

अष्टलक्ष्मी की पूजा से लाभ

भारतीय सनातन संस्कृति में आरंभ से ही स्त्री को पूज्य व जननी माना गया है। स्त्री धन-धान्य, समृद्धि, विद्या, बुद्धि और शक्ति के स्वरूप में हमारे शास्त्रों में भी विद्यमान हैं।

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