पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्ट लक्ष्मी में वीर लक्ष्मी वीरता और साहस की देवी हैं। जो दुश्मनों पर विजय दिलाने में सहायक हैं। वीर लक्ष्मी की प्रचलित पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। यह कथा भगवान कृष्ण के समय की है।
भगवान कृष्ण के समय में एक राजा थे जिनका नाम था राजा सूर्यदत्त। वह बहुत ही धार्मिक और न्यायप्रिय थे। एक दिन, राजा सूर्यदत्त को एक सपना आया जिसमें उन्हें भगवान कृष्ण ने कहा कि वे उनकी पत्नी रुक्मिणी के साथ वीर लक्ष्मी की पूजा करें। राजा सूर्यदत्त ने भगवान कृष्ण की आज्ञा का पालन किया और वीर लक्ष्मी की पूजा की। इसके बाद, उन्हें भगवान कृष्ण की कृपा से बहुत सारी समृद्धि और शक्ति प्राप्त हुई। वीर लक्ष्मी की पूजा करने से राजा सूर्यदत्त ने युद्ध में विजय प्राप्त किया और उनका राज्य और समृद्ध हो गया।
इसके बाद वीर लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई और लोग उन्हें शक्ति और समृद्धि की देवी के रूप में पूजने लगे।
वीर लक्ष्मी देवी चारभुजा धारी कमल पर पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं। इनकी आठ भुजाओं में पाश, कमल, वरद मुद्रा, अभय मुद्रा, अंकुश, अक्ष सूत्र और पात्र होते हैं। माता का यह स्वरूप आयु, संपत्ति, ऐश्वर्य और सुख देने वाला माना गया है।
वीर लक्ष्मी योद्धाओं की आराध्य देवी मानी जाती है। जीवन का युद्ध हो या मैदान का युद्ध दोनों ही जगह देवी हमारी रक्षा करती है। वीर लक्ष्मी देवी की आराधना से कानूनी विवाद में जीत, युद्ध में सफलता, रोग से छुटकारा तथा सौभाग्य के साथ स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा सूर्य दत्त को वीर लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि और शक्ति प्राप्त हुई थी। वीर लक्ष्मी की पूजा करने से न्याय और धर्म की विजय होती है तथा भगवान कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।
सुहागिन महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान राम की पत्नी मां सीता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।