प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साल 2024 में ये व्रत 28 नवंबर को रखा जा रहा है। इस दिन गुरूवार है, इसलिए इसे गुरू प्रदोष व्रत कहा जाएगा। गुरू प्रदोष व्रत के दिन कुछ खास नियम होते हैं जिन्हें पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन क्या काम करने चाहिए और इस दिन किन कामों को करने की मनाही होती है।
भगवान शिव की पूजा-अर्चना: प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना आवश्यक है। उनकी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
व्रत रखना: प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखना भी आवश्यक है। व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें।
दान करना: प्रदोष व्रत के दिन दान करना भी आवश्यक है। दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंदिर या गरीब लोगों में श्रद्धा अनुसार अन्न, धन और वस्त्र का दान करें।
शिव चालीसा और शिव स्तुति का पाठ: प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा और शिव स्तुति का पाठ करना भी आवश्यक है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव का अभिषेक: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करना भी आवश्यक है। घर की उत्तर-पूर्व दिशा में भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें और शिव जी की पूजा में बेलपत्र, चंदन, धतूरा, भांग और गाय का कच्चा दूध शामिल करें। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।
'मंत्र' का अर्थ है मन को एकाग्र करने और अनावश्यक विचारों से मुक्त करने का एक सरल उपाय। आज की तेज़ भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक शांति प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो गया है।
हम नैन बिछाए है,
हे गणपति आ जाओ ॥
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
रंगी गुब्बारो से मंडप सजाया है,
मिशरी मावे का एक केक मंगाया है,