Jyeshtha Month 2025: ज्येष्ठ माह में किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है? जानें इनके नाम और पूजा विधि
ज्येष्ठ माह हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता है, जिसे आम भाषा में ‘जेठ महीना’ कहा जाता है। यह महीना बहुत खास होता है क्योंकि इसमें न केवल भीषण गर्मी पड़ती है बल्कि कई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के पर्व भी आते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ का महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा। यह महीना गर्मी के चरम के लिए तो जाना ही जाता है, साथ ही इसमें देवी-देवताओं की पूजा से जुड़े कई विशेष दिन और व्रत भी मनाए जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस महीने में किन देवी-देवताओं की पूजा का महत्व है और कैसे की जाती है पूजा।
1. भगवान शिव की पूजा
ज्येष्ठ माह भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. माता पार्वती की पूजा
इस महीने माता पार्वती की पूजा करने से सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही, माता की आराधना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
3. सूर्य देव की पूजा
गर्मी के इस मौसम में सूर्य देव की पूजा का भी विशेष महत्व है। हर दिन सूर्य को जल चढ़ाने से आरोग्य, तेज और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह शरीर और मन दोनों के लिए लाभदायक माना गया है।
4. गंगा माता की पूजा
ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा का पर्व आता है। इस बार यह 16 जून को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा में स्नान और पूजन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शुद्धता आती है।
5. भगवान हनुमान की पूजा
इस महीने के मंगलवार को 'बड़ा मंगलवार' कहा जाता है। मान्यता है कि इन दिनों हनुमान जी की पूजा करने से शक्ति, बुद्धि और साहस की प्राप्ति होती है। खासतौर पर व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ करने से लाभ मिलता है।
6. वरुण देव की पूजा
वरुण देव जल और वर्षा के देवता हैं। ज्येष्ठ माह में इनकी पूजा करने से अच्छी बारिश होने की कामना की जाती है, जिससे किसानों को फायदा होता है।
पूजा विधि
इस माह में सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान पर दीपक और धूप जलाएं। फिर देवी-देवताओं को फूल, फल और नैवेद्य अर्पित करें। मंत्रों का जाप करें और आरती करें। पूजा के अंत में दक्षिणा अर्पित करें।
चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना से भक्तों को मानसिक शांति, भौतिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है, लेकिन हर राशि के लिए अलग-अलग अध्यायों का पाठ करने का महत्व बताया गया है।
नवरात्रि के अष्टमी-नवमी तिथि के संधि काल में की जाने वाली संधि पूजा का विशेष महत्व है। इस पूजा में देवी महागौरी और मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस पूजा के दौरान 108 दीये जलाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
हिन्दू धर्म मे नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर रामनवमी तक चलने वाला यह पर्व भक्तों के लिए देवी के चरणों में समर्पण का प्रतीक बन जाता है। इस बार नवरात्रि 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी।
चैत्र नवरात्रि और सालभर में पड़ने वाली सभी नवरात्रियों में अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति का अर्थ है—ऐसी ज्योति जो खंडित न हो। नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।