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ज्येष्ठ मास में पेड़ लगाने का महत्व

ज्येष्ठ मास में पेड़ लगाने का महत्व

Jyeshtha Amavasya 2025: ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा पर लगाएं ये 3 पेड़-पौधे, मिलेगा मनचाहा वरदान


ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, पितरों की शांति के लिए तर्पण करने और पुण्य कमाने का उत्तम समय होता है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा और दान-पुण्य व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाते हैं और जीवन में सुख-शांति लाते हैं। इस विशेष अवसर पर कुछ पवित्र पेड़-पौधों की पूजा करने से और भी शुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ऐसे तीन खास पेड़-पौधों के बारे में जिनकी पूजा करने से आपकी किस्मत का सितारा चमक सकता है।


1. तुलसी 

हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी अनेक हैं। मान्यता है कि तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास होता है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। पूर्णिमा तिथि पर तुलसी की विधिपूर्वक पूजा करने से कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों का प्रभाव कम होता है। साथ ही, भाग्य भी प्रबल होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे पर दीप जलाकर, जल चढ़ाकर और आरती करके आप देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।


2. पीपल

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों में बताया गया है कि पीपल में त्रिदेवों का वास होता है- ब्रह्मा, विष्णु और शिव। इस दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें। साथ ही पेड़ की जड़ में मिठाई चढ़ाएं और दीपक जलाएं। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-समृद्धि बढ़ती है। आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए भी यह उपाय कारगार माना जाता है। 


3. बरगद

बरगद का पेड़ भी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन विशेष पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बरगद में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि किसी व्यक्ति के विवाह में अड़चनें आ रही हैं, तो उसे बरगद के पेड़ की जड़ों में गंगाजल चढ़ाना चाहिए और पेड़ पर कलावा बांधना चाहिए। साथ ही फूल, फल और मिठाई चढ़ाकर धूप-दीप से पूजा करें। इससे विवाह के योग बनने लगते हैं और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।


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