Logo

होली भाई दूज ज्योतिष उपाय

होली भाई दूज ज्योतिष उपाय

होली भाई दूज पर करें ये ज्योतिष उपाय, भाई रहेंगे हमेशा स्वस्थ और खुश


होली भाई दूज इस साल 16 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और बंधन को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन बहन द्वारा किए गए तिलक और विशेष पूजन से भाई की उम्र लंबी होती है, और उस पर से हर प्रकार की विपत्तियां हट जाती हैं। साथ ही होली भाई दूज पर कुछ विशेष उपाय करने से यमराज का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और भाई के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

होली भाई दूज उपाय


ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके, साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के पूजा स्थान में यमराज, चित्रगुप्त जी महाराज और भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा में दीपक, धूप, पुष्प, नैवेद्य और जल का अर्पण करें।

चावल का घोल बनाकर भाई के माथे पर तिलक करें। इसके बाद पान, सुपारी, पुष्प और नारियल एक रुमाल में रखकर भेंट करें। फिर भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधें। चावल का तिलक भाई की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

शाम के समय यमराज के नाम से एक चौमुखी दीपक जलाएं। और उस दीपक को घर के मुख्य द्वार पर या बाहर किसी सुरक्षित स्थान पर रखें। ऐसा माना जाता है कि इस दीपक से यमराज प्रसन्न होते हैं, और घर में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

इस दिन उपवास रखें और शाम को पूजा और तिलक लगाने के बाद व्रत खोलें। तथा भाई-बहनों को कुछ उपहार अवश्य दें, क्योंकि इससे आपका रिश्ता मजबूत होता है और उसमें प्यार बना रहता है।

अपने भाई के पसंदीदा भोजन बनाएं और उसे तिलक और पूजा के बाद खिलाएं, यह भोजन प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक होता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अपनी बहन के हाथ का बनाया भोजन खाने से भाई हमेशा स्वस्थ रहता है।

इस दिन भाई-बहनों को अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे परिवार में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है।

होली भाई दूज का ज्योतिषीय लाभ


होली भाई दूज केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भाई की सुरक्षा, स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए किए जाने वाले विशेष दिनों में से एक है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन बहन द्वारा तिलक और विशेष उपाय करने से यमराज स्वयं भाई की रक्षा का वचन देते हैं।

........................................................................................................
नवरात्रि में 9 दिन कैसे करें माता की पूजा-अर्चना, जानें कलश स्थापना से लेकर मंत्र तक सब कुछ

हमारी चेतना के भीतर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार के गुण व्याप्त है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं।

आस्था और विश्वास का केंद्र हैं राजस्थान के ये प्रसिद्ध देवी मंदिर, जानिए क्या है इनका इतिहास

नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों देवी के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2024: इस वर्ष नवरात्रि में दो दिन रहेगी पंचमी

शारदीय नवरात्रि 2024 में इस बार की सभी नौ तिथियों में दो तिथियों के घटने बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। इस बार तिथि भेद के चलते नवरात्र में पंचमी तिथि दो दिन विद्यमान रहेगी, वहीं अष्टमी और नवमी तिथि एकसाथ होगी।

मथुरा के नरी सेमरी देवी मंदिर में लाठियों से होती है देवी की पूजा, दो पक्षों की लड़ाई से शुरू हुई परंपरा

प्रतिमा साल भर टेढ़ी मुद्रा में रहती है। राम नवमी के दिन यह प्रतिमा सीधी हो जाती है। इसी दिन देवी की आरती और पूजा लाठियों से की जाती है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang