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अन्वाधान व इष्टि क्या है

अन्वाधान व इष्टि क्या है

Anvadhan and Ishti : क्या है अन्वाधान व इष्टि, क्यों किया जाता है इसका आयोजन


सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है। प्रमुख रूप से वैष्णव संप्रदाय के लोग भगवान विष्णु को सर्वोच्च शक्ति के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए इसे करते हैं। इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य यज्ञ की अग्नि को पुनः प्रज्वलित करना और उसे बनाए रखना है। तो आइए, इस आर्टिकल में अन्वाधान व इष्टि के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


अन्वाधान क्या है?


अन्वाधान शब्द संस्कृत के "अनु" (बाद में) और "आधान" (रखना या भेंट देना) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है पुनः आहुति देना। इस दिन, वैष्णव संप्रदाय से जुड़े लोग एक दिन का उपवास रखते हुए इस क्रिया को करते हैं। कहा जाता है कि अगर इस अनुष्ठान में अग्नि कम हो जाती है तो यह शुभ संकेत नहीं माना जाता है। इसलिए, ध्यान रखा जाता है कि हवन के बाद भी आग जलती रहे। आमतौर पर इसे शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है। साथ ही कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि को भी करने का योग होता है। ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है कि अन्वाधान के लिए तिथि एक महीने में दो बार आती है।


कब मनाया जाएगा अन्वाधान?


साल 2025 में अन्वाधान व्रत 27 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इसी दिन दर्श अमावस्या या फाल्गुन अमावस्या भी होती है। इस महीने के अन्य प्रमुख व्रत-त्योहारों में 25 फरवरी को प्रदोष व्रत, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, 28 फरवरी को इष्टि जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान शामिल हैं। व्रत और त्योहारों के लिहाज से फरवरी का महीना बेहद खास है।


इष्टि क्या है?


इष्टि एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसमें भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए 'हवन' की तरह आयोजित किया करता है। यह कार्य कुछ घंटों तक चला करता है। आम बोलचाल की भाषा में इष्टि का मतलब इच्छा से होता है। वहीं व्यापक अर्थों में देखा जाय तो संस्कृत शब्द इष्टि का मतलब किसी कार्य को करने और कुछ प्राप्त करने के लिए किसी देवता के होने वाले आह्वान से जोड़ कर देखा जाता है। इसे अन्वाधान के अगले दिन किया जाता है। इष्टि की बात करें तो यह अन्वाधान के अगले दिन मनाई जाता है। इस दौरान वैष्णव व समाज के लोग यह मानते हैं कि अगर अन्वाधान और इष्टि के दिन उपवास किया जाए तो इससे जीवन, परिवार व समाज में सभी को शांति और खुशी मिला करती है। साथ ही साथ इससे व्यक्ति की इच्छाओं की भी पूर्ति भी होती है। 


फरवरी 2025 में कब है इष्टि? 


कृषि और प्राकृतिक संतुलन से जुड़े इस अनुष्ठान में प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त किया जाता है। इस यज्ञ में भाग लेने वाले भक्तों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। बता दें कि साल 2025 में फरवरी महीने में गुरुवार, 13 तारीख को इष्टि है। इस दिन से फाल्गुन महीने का शुभारंभ भी हो जाएगा। 


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मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा (Murakh Bande Kya Hai Re Jag Me Tera)

ओ मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा,

मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे(Mohe Mitho Mitho Saryu Ji Ko Pani Lage)

सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,
राजधानी लागे,

मोहे मुरली बना लेना(Mohe Murli Bana Lena)

कान्हा मेरी सांसो पे,
नाम अपना लिखा लेना,

मोहे रंग दो अपने ही रंग में, मोहे ओ सांवरिया(Mohe Rang Do Apne Hi Rang Mein Mohe O Sawariya)

नैना लागे जब मोहन से,
नैना को कुछ रास ना आए,

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