ओ मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा,
ये तो सब झूठा सपना है,
ये तो सब झूठा सपना है,
क्या तेरा क्या मेरा,
मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा ॥
कितनी ही माया जोड ले,
कितने हि महल बनाले,
तेरे मरने के बाद सुन,
तेरे ये घर वाले,
दो गज कफ़न उड़ाकर तुझसे,
दो गज कफ़न उड़ाकर तुझसे,
छिन लेगे ये सब तेरा,
मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा ॥
कोटि बंगला कार देख तु,
क्यु इतना इतराता है,
पत्नी ओर बच्चो के बिच तु,
फ़ुला नही समाता है,
चार दिनो कि चान्दनी ये,
चार दिनो कि चान्दनी ये,
फ़िर आयेगा अन्धेरा,
मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा ॥
मुरख अपनी मुक्ती का तु,
जल्दी कर उपाय,
किस दिन किस घडी तेरी ये,
बाह पकड़ ले जाये,
तेरे साथ मे घुम रहा है,
तेरे साथ मे घुम रहा है,
बनकर काल लुटेरा,
मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा ॥
पाप कमाया तुने बहुत अब,
थोड़ा पुण्य कमाले,
कुछ तो समय है अब मानव तु,
राम नाम गुण गाले,
राम नाम से मिट जायेगा,
राम नाम से मिट जायेगा,
जनम मरण का फ़ेरा,
मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा ॥
ओ मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा,
ये तो सब झूठा सपना है,
ये तो सब झूठा सपना है,
क्या तेरा क्या मेरा,
मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा ॥
विनायक चतुर्थी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर महीने में दो बार आता है जिसमें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
कहते हैं जब भगवान पर आस्था होती है तो आपकी जिंदगी भगवान की हो जाती है। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले हंसराज बाबा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन्होंने अपनों से मिले दुख और अन्याय के कारण अपने जीवन को वैराग्य की ओर मोड़ दिया।
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, मकर संक्रांति के पवित्र स्नान पर करोड़ो साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने यहां आस्था की डुबकी भी लगाई है। कुंभ नगरी में बड़ी संख्या में देशभर से साधु-संत भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ 2025 में, गंगापुरी महाराज अपनी हाइट को लेकर सुर्ख़ियों में हैं और आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी हाइट महज 3 फिट है। इतनी लंबाई महज पांच-छह साल के बच्चे की होती है।