अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर क्या करें और क्या ना करें ? यहां जानें पर्व के यम नियम
हर साल पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी होती है। हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है। जो भी इस दिन भगवान गणेश का पूजन और व्रत करता है उसके जीवन में अगर कोई परेशानी है तो इस दिन पूजन करने से वो दूर हो जाती है। इस दिन के कई यम नियम भी हैं। तो आइए इस लेख में इस विशेष दिन के बारे में और विस्तार से जानते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पर क्या करें?
- संकष्टी चतुर्थी पर सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए।
- संकष्टी चतुर्थी पर पूजा से पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करनी चाहिए।
- संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को जल चढ़ाना चाहिए।
- संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को फूल, दूर्वा, जनेऊ, अक्षत, कुमकुम, पान, चावल, नारियल भी चढ़ाना चाहिए।
- भगवान गणेश को मोदक, मौसमी फल, बूंदी इत्यादि का भोग लगाना चाहिए।
- भगवान गणेश को घी का दीपक और धूप जलाना चाहिए।
- इस दिन भगवान गणेश के मंत्रों का जप करना चाहिए।
- इस दिन भगवान गणेश की आरती करनी चाहिए।
- व्रत के बाद पारण के भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग करना चहिए।
इस दिन क्या ना करें?
- इस दिन लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिए।
- इस दिन मांसाहार नहीं खाना चाहिए।
- इस दिन किसी भी तरह का नकारात्मक विचार मन में नहीं लाना चाहिए।
- इस दिन किसी भी तरह का झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- साथ ही इस दिन किसी को भी भूल से भी दुख नहीं पहुंचाना चाहिए।
क्या है संकष्टी चतुर्थी का महत्व?
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं। इस दिन जो भी भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूज-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इसके साथ ही उनके घर में भी सुख-समृद्धि और शांति निवास करती है और वे अच्छा और सुखमय जीवन जीते हैं।
कब मनाई जाएगी अखुरथ संकष्टी चतुर्थी?
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को है। इस साल अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट से शुरू होगी। अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की समाप्ती 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर होगी।
........................................................................................................माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
जया एकादशी का सनातन धर्म में खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जया एकादशी पर यहां दिए 5 उपायों को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को सभी तरह के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
माता ललिता को समर्पित यह ललिता जयंती हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। बता दें कि ललिता व्रत, शरद नवरात्रि के पाँचवें दिन किया जाता है।
माता ललिता को समर्पित यह ललिता जयंती हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। दस महाविद्याओं में से एक है माता ललिता। इन्हें राज राजेश्वरी और त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है।