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देश में दिवाली मनाने के अनूठी परंपराएं

देश में दिवाली मनाने के अनूठी परंपराएं

भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह मनाया जाता है दिवाली का त्योहार? जानिए अनूठे तरीके 


भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी पर्वों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दीप+ आवली अर्थात दीपों की पंक्तियाँ। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि को रोशनी से जगमगा दिया था। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते आ रहे हैं।


विभिन्न तरीकों से मनाई जाती है दिवाली


देश के अलग अलग कोनों में दिवाली से  कई सप्ताह पूर्व ही तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। पद्म पुराण व स्कन्द पुराण में भी दीपावली का उल्लेख मिलता है। वैसे तो भारत के अधिकांश राज्यों में दीपावली पाँच दिवसीय होती है। किन्तु अलग अलग स्थानों पर कुछ भिन्नता भी देखने को मिलती है।


>> गोवा:- गोवा के स्थानीय लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर को परास्त किया था। इसलिए, यहां इस दिन को दीप प्रज्ज्वलित कर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।


>> पश्चिम बंगाल:- पश्चिम बंगाल में माँ काली को आराध्य मानकर सूर्यास्त के बाद चौदह मिट्टी के दीपक लगाकर पूजा करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से वे बुरी शक्तियों को दूर करती हैं। 


>> तमिलनाडु:- वहीं, तमिलनाडु में इस दिन दीपावली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है। तमिल लोग सूर्योदय से पहले तेल स्नान कर पूरे दिन पूजा व अनुष्ठान करते हैं। तत्पश्चात 'कुथु विलाकु 'अर्थात दीपक जलाकर नेवेद्यम चढ़ाते हैं।


>> ओडिशा:- ओडिशा में दीपावली बड़े अनूठे तरीके से मनाई जाती है। यहां के लोग पूर्वजों का स्वागत करते हुए जूट की छड़ें जलाते हैं। जूट जलाने के बाद प्रार्थना की जाती है। यहां के लोगों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन पूर्वज स्वर्ग से उतरकर आशीर्वाद देते हैं।


अन्य संप्रदायों में दिवाली 


जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तो सिख समुदाय के लोग दीपावली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाते हैं।


नेपाल 


नेपाल संवत् के अनुसार दीपावली साल का आखरी दिन माना जाता है। इस दिन व्यापारी अपने पुराने खाते को बंद कर नवीन बही-खातों की पूजा करते हैं और शुभ मुहुर्त में उसे आरंभ किया जाता है।


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